लखनऊ।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अवैध धर्मांतरण करने व भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के मामले में आरोपी नीतू उर्फ नसरीन को राहत देने से इन्कार कर उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आग्रह वाली याचिका खारिज कर दी है। बलरामपुर जिले के इस मामले की रिपोर्ट लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एटीएस थाने में दर्ज है। जिसमें जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, उसका पुत्र, नीतू उर्फ नसरीन , उसके पति नवीन रोहरा समेत 10 लोग नामजद हैं।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने यह आदेश आरोपी नीतू की याचिका पर दिया। याची महिला ने एटीएस द्वारा 16 नवंबर 2024 को दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती देकर रद्द किए जाने का आग्रह किया था। याची का कहना था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है क्योंकि उसने 16 नवंबर 2015 को यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) में अपना धर्म सनातन से इस्लाम में परिवर्तित कर लिया था। उधर, याचिका का विरोध कर सरकारी वकील ने कहा, याची महिला के खिलाफ अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर अवैध क्रियाकलाप करने का ब्योरा प्राथमिकी में दर्ज है। कहा इस मामले में अभियुक्त महबूब व नवीन रोहरा गिरफ्तार हो चुके हैं।
कोर्ट ने यह कहते हुए आश्चर्य जताया कि याची ने धर्मांतरण के बाद कभी भी अपना नया नाम पासपोर्ट व अन्य दस्तावेजों में बदलवाने का आवेदन नहीं किया और पहले वाले हिंदू नाम का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में एफआईआर के आरोपों के मुताबिक वह लोगों को धोखा दे रही है। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने याची महिला को राहत देने से इन्कार कर उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आग्रह वाली याचिका खारिज कर दी।
