बाराबंकी के नाम को रोशन कर गए केडी सिंह बाबू
बाराबंकी।
जिले के एक पिछड़े गांव में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह (केडी सिंह बाबू) ने जिला ही नहीं प्रदेश और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया था। हॉकी के जादूगर ने शहर के जीआईसी मैदान में जब हॉकी पकड़ी तब किसी को यकीन नहीं था कि बाबू हॉकी को उस मुकाम तक ले जाएंगे। जब भी हॉकी का जिक्र होगा तो बाराबंकी में जन्मे इस लाल को याद जरूर किया जाएगा।
कल यानी 2 फरवरी को उनका शताब्दी वर्ष पूरा हो रहा है और हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अच्छा होता कि खेल जगत में उनके नाम पर कोई बड़ा आयोजन होता पर ऐसा हो न सका। शहर में उनके आवास पर जरूर एक आयोजन किया जा रहा है। जिसमें उनकी याद वाली तस्वीरों की प्रदर्शनी लगेगी और उनके इतिहास के बारे में सबको बताया जाएगा।
हॉकी के महान खिलाड़ी रहे कुंवर दिग्विजय सिंह (केडी सिंह) की बुधवार को जयंती है। लोग उन्हें प्यार से ‘बाबू’ कहकर बुलाते थे। केडी सिंह के नाम पर ही लखनऊ के केडी सिंह स्टेडियम का नाम पड़ा था। बाराबंकी में जन्मे केडी सिंह ने 14 वर्ष की उम्र से ही हॉकी में कौशल दिखाना शुरू कर दिया था। एक साल में 99 गोल करने के बाद उन्हें भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया था।
सिविल लाइन स्थित केडी सिंह बाबू के आवास पर सुबह 11 बजे श्रीरामचरित मानस का पाठ शुरू होगा। पूर्वाह्न 1 बजे बजे स्व केडी बाबू को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले प्रात: 9 बजे देवा रोड स्थित पुलिस लाइन चौराहे पर लगी केडी सिंह बाबू की मूर्ति पर माल्यार्पण किया जाएगा। इस दौरान उनके पुत्र वीवी सिंह सहित पूरा परिवार व नगरवासी मौजूद रहेंगे।
16 वर्षों तक किया उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व
केडी सिंह बाबू ने 16 वर्षों तक हॉकी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इतना ही नहीं वह भारतीय टीम के कप्तान बने। 1948 में लंदन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के उप कप्तान थे। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। सन् 1949 वह भारतीय टीम के कप्तान बने।
इस वर्ष ‘बाबू’ ने रिकॉर्ड गोल किये। साल 1949 में कुल 236 गोल हुए, जिनमें से अकेले केडी सिंह ने 99 गोल किये जो किसी भी टीम के खिलाड़ी द्वारा किये अधिकतम गोल थे। साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में वह भारतीय टीम के कप्तान थे। इस टूर्नामेंट में उनके बेहतर खेल की सभी ने खुलकर तारीफ की थी।