रामभरोसे ही चल रहा ट्रामा, एक्सरे मशीन तक गायब
लखीमपुर खीरी।
प्रदेश सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए जिले में सबसे पहले ट्रामा सेंटर, फिर 200 बेड का मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, अब एक मेडिकल कालेज की सौगत दी। इसमें 200 बेड का अस्पताल बनकर तैयार हो गया। मेडिकल कालेज बनने की तैयारी शुरू हो गई व कस्बे के बेहजम तिराहे के निकट बने ट्रामा सेंटर का लोकार्पण माह फरवरी में कर उसे आधी अधूरी तैयारियों के साथ चालू कर दिया गया। दस माह बाद भी इस ट्रामा सेंटर को जिस उद्देश्य से चालू किया गया था कि अब जिले में होने वाले सड़क हादसों में घायलों को तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। इस पर बिल्कुल खरा नहीं उतर रहा। उद्घाटन के समय तो ओटी, एक्सरे मशीन सब लगा दी गई लेकिन, कुछ समय बाद ही एक्सरे मशीन भी गायब हो गई।
इस समय ट्रामा सेंटर की हालत इतनी खराब है कि कहने को तो यहां पर तीन डाक्टरों की तैनाती है जो कि रोस्टर वार अपनी ड्यूटी करते रहते हैं लेकिन, अगर कोई भी गंभीर रूप से घायल आ जाए तो तत्काल उसे रेफर कर दिया जाता है। आलम यह है कि दवाओं के अभाव के चलते डाक्टरों को हर मरीज को बाहर की दवा लिखनी पड़ती है। इस कारण इनकी दवा पीएचसी से सप्लाई की जाती है। या यूं कहें कि उधार की दवा के सहारे मरीजों का इलाज किया जा रहा है। मूलभूत सुविधाओं से महरूम ट्रामा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के संकल्प को मुंह चिढ़ा रहा है।
ट्रामा के प्रभारी डा. मोहित तिवारी के अनुसार यहां पर ट्रामा सेंटर की मूलभूत सुविधाएं न के बराबर हैं। न तो पर्याप्त डाक्टर न नर्स, न ही वार्ड ब्वाय न ही दवाएं हम लोग 72,72 घंटे लगातार ड्यूटी करने को मजबूर हैं। अभी भी हैं ये कमियां
1- कोई भी स्पेसलिस्ट सर्जन नहीं।
2- बेहोशी का कोई स्पेसलिस्ट नहीं।
3-न ही फार्मासिस्ट
4-न ही ओटी व लैब टेक्नीशियन।
5- अर्थों का डाक्टर तो है लेकिन, कोई भी सुविधा नहीं।
यह सिर्फ कुछ चंद खामियां हैं जो दर्शाई गई इनकी फेहरिस्त काफी लंबी है। बस राम भरोसे चल रहा है ट्रामा सेंटर।
