सभी के लिए प्रेरणा बनीं आंगनबाड़ी निर्मल कौर वीरा अधिकारी को मिला जीवनदान
पीलीभीत।
मरौरी ब्लॉक के ग्राम रम्पपुरिया महोफवासी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मल कौर ने वह कर दिखाया जो शायद अन्य के लिए भविष्य में प्रेरणा बने। निर्मल अति कुपोषित बच्ची वीरा अधिकारी की देखरेख में एक माता के समान भूमिका निभाई। जन्म के 1 माह के बाद वीरा की मां की मृत्यु हो गई। इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बच्ची बीरा पर अपनी पूरी निगरानी में रखा। निर्मल कौर परिवारजनों का साहस देती रहीं और बच्चे की देखरेख के लिए हर दिन वीरा के घर जाती रहीं। निर्मल कौर की इस पहल की अब कई गांव तक में चर्चा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मल कौर ने बताया वीरा अधिकारी पुत्री हरिओम अधिकारी निवासी रामपुरिया महोफ का जन्म समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र न्यूरिया हुसैनपुर में हुआ था | जन्म पश्चात माता व शिशु दोनों अपने घर सुरक्षित आए किंतु वीरा के जन्म के बाद माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था आए दिन वीरा की माता प्रीति अधिकारी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा| उपचार हेतु वीरा के पिता प्रीति अधिकारी को जनपद स्तरीय अस्पतालों में आए दिन दिखाते रहते थे | वीरा की माता के स्वास्थ्य में कोई भी सुधार नहीं हो पा रहा था | पूरा परिवार वीरा की माता को लेकर चिंतित था जिससे वीरा की देखरेख नहीं हो पाई | वीरा अति कुपोषित होती चली गई वही दूसरी ओर वीरा की माता स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण उन्हें एआईएमएस ऋषिकेश के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया | 1 माह तक उपचार चलने के पश्चात वीरा की माता का देहांत हो गया |
देहांत होने के पश्चात घर का पूरा माहौल बिगड़ चुका था | वीरा के घर में एक माह की वीरा उसकी दादी – दादा उसके पापा और उसकी मम्मी ही थी जो कि वह भी उसका साथ 11 जनवरी 2021 को छोड़ कर चली गई थी । घर में सिर्फ वीरा की दादा- दादी थी और उसके पिताजी भी काम के लिए बाहर चले जाते थे | वीरा की देखरेख नहीं हो पाती थी जन्म के समय वीरा का वजन 2 किलो 100 ग्राम था और देखरेख ना होने के कारण दिन पर दिन उसका वजन कम होता चला जा रहा था| आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया वीरा को देख मुझे बहुत बुरा लगता था फिर वीरा की देखरेख की जिम्मेदारी मैंने स्वयं उठाई और मैं प्रतिदिन वीरा के घर जाती थी और वीरा की देखरेख करती थी और उसकी दादी को भी उसकी देखरेख करने के तरीके बताती रहती थी |
ठंड का मौसम बहुत नजदीक था और ठंड में वीरा की देखरेख होना बहुत जरूरी था उस समय में वीरा को कंगारू मदर केयर का तरीका उसकी दादी से या उसके पिताजी से करवाती थी व कंबल में रखने का तरीका और उसके शरीर का तापमान मापती और 15 दिन में उसका वजन की माप व समय पर टीकाकरण इत्यादि कार्य मैं जिम्मेदारी के साथ निभाती थी | आज वीरा आधिकारी 12 माह पूर्ण कर चुकी है वह बिल्कुल स्वस्थ है आज उसका वजन 10 किलो 600 ग्राम और उसकी ऊंचाई 80 से. मी. है | वीरा अधिकारी को एनआरसी भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं पड़ी घर पर ही आगनबाडी कार्यकर्ता ने उसकी देखरेख कर उसे स्वस्थ बना दिया | जैसे ही वीरा ने 6 माह पूर्ण किया तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मल कौर ने छह महा पूर्ण करने के पश्चात वीरा को ऊपरी आहार देना शुरू कर दिया था | ऊपरी आहार शुरू होने के पश्चात धीरे धीरे वीरा में सुधार आने लगा | वीरा का तेजी से वजन बढ़ने लगा और वह अच्छे से लंबाई भी पकड़ने लगी।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मला कौर ने बताया आज वीरा बिल्कुल स्वस्थ है और उसके स्वस्थ रहने से मुझे बहुत खुशी है|
जिला कार्यक्रम अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया जनपद में कुल 1960 आंगनबाडी केन्द्र है जिनके सापेक्ष 1755 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कार्यरत है | जनपद में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 12022 व अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1438 है | उन्होंने कहा अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करना जरूरी है। इससे उन्हें ससमय पोषण पुनर्वास केंद्र भेजकर और उनके अभिभावकों को पोषण के बारे में जागरूक कर कुपोषण के गंभीर प्रभाव से बचाया जा सकता है। सामुदायिक पोषण स्तर बढ़ेगा तभी जिले की गर्भवती महिलाओं और बच्चों को एनीमिया संकट से मुक्ति मिल पाना संभव हो सकेगा। इसके लिए अच्छे पोषण के साथ स्वच्छता भी जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को पोषक तत्वों वाले फल, सब्जी, खाद्य पदार्थ के साथ-साथ अन्य सामग्री लेना भी जरूरी है | आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का प्रयास सराहनीय है | उन्होंने बताया कि गर्भ में पल रहे बच्चों और छोटे बालकों को भी स्वास्थ रखना है। जब बच्चे और माता दोनों ही स्वस्थ रहेंगे तो दोनों का विकास संभव है।
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