बलरामपुर

कागजों पर शहर साफ, नागरिकों की अनदेखी से लुढ़का ग्राफ

बलरामपुर व उतरौला को आदर्श नगर पालिका का दर्जा प्राप्त है।

बलरामपुर व उतरौला को आदर्श नगर पालिका का दर्जा प्राप्त है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की राष्ट्रीय रैंकिग में नपाप बलरामपुर का ग्राफ कम हुआ है। 2020 में मिली 36वीं रैंक से 11 पायदान लुढ़क कर वह 47वें स्थान पर पहुंच गया है। उतरौला ने सुधार करते हुए 85वीं रैंक हासिल की है। यूं तो नपाप प्रशासन डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व दोनों पालियों में वार्डों की नियमित सफाई का दावा करता है। आमजन इससे कितना संतुष्ट हैं, यह जानने की अधिकारियों ने कभी कोशिश नहीं की। यही वजह है कि जनता ने स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना फीडबैक देना मुनासिब नहीं समझा। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकांश लोगों को सर्वेक्षण की जानकारी भी नहीं हो पाती है। यह हाल तब है जब स्टार रेटिग के सरकार ने जनता के फीडबैक पर 30 फीसद अंक का वेटेज दिया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में सरकार ने कुल 6000 अंक निर्धारित किए थे। इसमें से 30 फीसद यानी 1800 अंक का भारांक जनता के फीडबैक पर था। सर्वेक्षण टीम कब शहर में आई और सर्वे करके चली गई, इसकी भनक अधिकांश वार्डवासियों को नहीं लगी। नगर पालिका प्रशासन ने भी इसे सार्वजनिक नहीं किया। खास बात यह रही कि इस बार नपाप ने कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया। स्वच्छ सर्वेक्षण के होर्डिंग-बैनर, रैली, गोष्ठी अन्य कार्यक्रम कागजों में ही हो गए। यही वजह रही कि शहरवासी स्वच्छता के बारे में अपने विचार प्रस्तुत नहीं कर सके। इससे न सिर्फ नपाप की स्वच्छता रैकिग प्रभावित हुई, बल्कि आमजन के अधिकारों का भी हनन हुआ।

कोई हमसे भी तो पूछे:

नगर के अचलापुर वार्ड निवासी गौरव सिंह का कहना है कि मुहल्ले में एक भी कूड़ादान नहीं रखा है। सभासद कभी मुहल्ले में झांकने नहीं आते हैं। ऐसे में लोग घरों का कचरा सड़क किनारे खुले स्थान पर फेंकने को मजबूर हैं। गंदगी से दुर्गंध व बीमारी पनप रही है। खलवा मुहल्ला निवासी अनुराग तिवारी का कहना है कि सफाईकर्मी सुबह-शाम झाड़ू लगाकर कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। नालियों की नियमित सफाई नहीं होती है। दवा छिड़काव व फागिग भी नहीं कराई जाती। सभी को होना होगा जागरूक।

शहर को स्वच्छ बनाने की शुरुआत सभी को अपने मुहल्लों से करनी होगी। हमें साफ-सफाई अपनाकर दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करना होगा। जागरूकता के अभाव में लोग इधर-उधर कूड़ा फेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। इससे गंदगी दूर नहीं हो पा रही है। हर नागरिक को स्वच्छता प्रहरी बनना होगा, तभी शहर की सूरत संवर सकती है। -अजय श्रीवास्तव, बेसिक शिक्षा विभाग शिकायतों का होता है निस्तारण।

अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार जायसवाल का कहना है कि आमजन की जो भी शिकायतें होती हैं, उसका त्वरित निस्तारण कराया जाता है। शहर को स्वच्छ रखने के लिए सभी से सहयोग की अपील की जाती है।

ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।
ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।

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