लापरवाही संग भ्रष्टाचार,नहीं बह पाई स्वच्छता की बयार
बलरामपुर।
गांवों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन पर लापरवाही व भ्रष्टाचार की गठजोड़ भारी पड़ रही है। लाखों रुपये से बने शौचालय व उनके संचालन पर खर्च हो रही भारी भरकम धनराशि पानी की तरह बहकर बर्बाद हो रही है। फिर भी इन शौचालयों का ताला नहीं खुल रहा है। शौचालयों के संचालन का जिम्मा अपनों को दिलाने के बाद गांवों के मुखिया भी शौचालय शुरू कराना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। इसका परिणाम रहा है कि स्वच्छता के मिशन पर गंदगी व लापरवाही का दाग भारी पड़ रहा है।
श्रीदत्तगंज ब्लाक में 54 सामुदायिक शौचालय बनने हैं। 16 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बन रहे हैं। 29 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है। इनका संचालन करने के लिए स्वयं सहायता समूह की किसी एक महिला को छह हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय व तीन हजार रुपये अन्य खर्च की मद में दिए जा रहे हैं। इसका फायदा एक भी ग्रामीण को नहीं मिल रहा है। अगया खुर्द, विश्रामपुर, पुरैना वाजिद, बनगवा, देवरिया मुबारकपुर, खरदौरी, बिथरिया परसपुर, गिद्धौर समेत ग्राम पंचायतों में बने सामुदायिक शौचालयों का कई महीनों से ताला ही नहीं खुला है। यहां सामुदायिक शौचालय का संचालन करने वाली समूह की महिला न केवल मुफ्त का मानेदय उठा रही हैं, बल्कि साबुन समेत अन्य प्रसाधन पर होने वाला खर्च भी बराबर निकाला जा रहा है। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव की मिलीभगत से हर माह सरकार के नौ हजार रुपये बर्बाद हो रहे हैं। श्रीनगर के पुष्पेंद्र, जुआथान के राजू, भैसहवा के सुरेश, अचानकपुर के अकरम, गुमड़ी के दिनेश,महदेइया के सलीम का कहना है कि शौचालय बंद होने से लोग न चाहते हुए भी खुले में शौच जाने को विवश हैं। निरीक्षण कर होगी कार्रवाई-
बीडीओ अशोक कुमार दूबे का कहना है कि शीघ्र ही सभी गांवो के सामुदायिक शौचालय का निरीक्षण किया जाएगा। ताला बंद मिलने पर समूह संचालक महिला के अलावा ग्राम प्रधान व सचिव के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
