मतदाताओं ने जाति व धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को आइना दिखा दिया
बलरामपुर।
आसन्न विधान सभा चुनाव में जिले में कई रिकार्ड ध्वस्त होते दिखे। कई पुराने दिग्गज पाला बदलने के बाद भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। मतदाताओं ने जाति व धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को आइना दिखा दिया।
बता दें कि वर्ष 2007 से लेकर 2017 तक जिले की जनता ने बसपा, सपा व भाजपा को खूब मौका दिया। 2017 में जिले की चारों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते थे। 2022 में भी भाजपा ने अपने पुराने चेहरों पर दांव लगाया। सपा ने चुनाव प्रचार के दौरान तमाम दावे किए। जाति और धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण का खूब कार्ड खेला गया। अंत में मतदाताओं ने चार में से एक बार फिर तीन सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को अपनी पहली पसंद बताकर यह साबित कर दिया कि विकास, कानून व्यवस्था व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोट किया है। भाजपा ने बलरामपुर सदर, तुलसीपुर तथा उतरौला में इतिहास दोहराया है।
करीब दो हजार मतों से पिछली बार भाजपा ने गैसड़ी विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी। इस बार यह सीट भाजपा हार गई। इस सीट पर सपा ने जीत की परचम लहराया है। यहीं नहीं चुनाव से पहले पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता विनय कुमार पांडेय सपा में आ गए और उन्होंने बलरामपुर सदर सीट से सपा प्रत्याशी को जीत दिलाने की पुरजोर कोशिश की। लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके। जनता ने एकबार फिर से राज्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी पल्टूराम को अपनी पहली पसंद बनाया। इसी तरह तुलसीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी कैलाश नाथ शुक्ला को जेल में रहकर पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान ने टक्कर देने की कोशिश की, लेकिन इस बार कैलाश ने जिले में सबसे अधिक वोटों से जीत दर्ज की। जेबा का वोट भी पिछली बार से बढ़ा लेकिन वह जीत की मंजिल तक नहीं पहुंच पाई। उतरौला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी राम प्रताप वर्मा ने एक बार फिर सपा गठबंधन प्रत्याशी हसीब खां को हराकर इतिहास दोहराया है।
