झारखंडी दुर्गा मंदिर, आस्था का केंद्र
मंदिर परिसर में आदिशक्ति के साथ कई अन्य देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित होने से यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मंदिर का सुंदर वातावरण लोगों को आकर्षित करता है। नवरात्र में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। अन्य मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत में भी भक्त यहां आकर मत्था टेकते हैं।
इतिहास:
स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग 150 वर्ष पूर्व बरुआ बाबा मंदिर वाले स्थान पर आदिशक्ति मां भगवती की आराधना किया करते थे। तब इस परिसर में सिर्फ भोलेनाथ का ही मंदिर था। बाबा ने यहां आने वाले भक्तों की मदद से परिसर में मां दुर्गा की छोटी मूर्ति की स्थापना की। कुछ दिनों बाद स्थानीय निवासी स्वर्गीय गयादत्त त्रिपाठी ने मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार कराया। तभी से भक्त यहां 365 दिन मां दुर्गा के दिव्य स्वरूप की आराधना करते हैं।
विशेषता:
एक ही परिसर में महादेव व आदिशक्ति मां भगवती की प्रतिमा झारखंडी दुर्गा मंदिर का विशेष आकर्षण है। इस महत्व के कारण यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। देवी आराधना के लिए विशेष माने जाने वाले नवरात्रि के दिनों में यहां भक्त चुनरी-नारियल, पुष्प, मिष्ठान का भोग लगाकर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करते हैं। यहां नवरात्र के साथ मलमास व सावन में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
झारखंडी मंदिर में नवरात्र के दिनों में दुर्गा मंदिर पर भोर से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है। बड़ी संख्या में पुरुष व महिलाएं ध्वजा नारियल, धूप आदि से मां की आराधना करते हैं। माता रानी लोगों की मुराद पूरी करती हैं। – बुद्धिसागर तिवारी, पुजारी
झारखंडी दुर्गा मंदिर के प्रति लोगों की विशेष श्रद्धा है। नवरात्र के दिनों में यहां होने वाली भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है। शिवरात्रि व नवरात्र में मंदिर में पुलिस कर्मी भी तैनात किए जाते हैं। – द्वारिका लाल पाठक, सेवक