ईँट निर्माताओं का प्रदर्शन
बलरामपुर।
कोयले की कीमतों और जीएसटी रेट में भारी बढ़ोत्तरी को लेकर ईंट निर्माताओं ने गुरुवार को उतरौला नगर में भाजपा कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर विरोध जताया। बढ़ती महंगाई के चलते ईंट-भट्ठों का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो रहा है। इस पर ईंट निर्माताओं ने कड़ी नाराजगी जताई है। अगले सीजन में ईंट-भट्ठों का संचालन ठप रखने की चेतावनी दी गई है। जिला मुख्यालय के बाद तहसीलों में ईंट निर्माताओं का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। ईंट-भट्ठा मालिकों ने आरपार की लड़ाई का ऐलान किया है। ईंट-भट्टों पर काम करने वाले श्रमिकों को रोजगार खोने का डर सताने लगा है।
धरने को संबोधित करते हुए ईंट निर्माता शिवाकांत वर्मा, सुहेल, शत्रोहन, गुड्डू, रशीद, तौफीक, विजय पाल, असलम, अनस व बब्बू आदि ने कहा कि जनवरी 2022 तक आठ हजार रुपये में एक टन कोयला मिलता था, जोकि अप्रैल 2022 में 25 हजार रुपये टन पहुंच गया है। कोयला संकट होने से ईंटें महंगी होने के साथ गहरी आंच न मिलने से कमजोर पड़ रही हैं। ईंट की कीमत छह की जगह नौ रुपये तक पहुंच गई है। पहले 80 फीसदी कोयला ईंट पकाने में इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन अब 30 फीसदी भी नहीं हो रहा है।
प्रदेश सरकार के आदेश के बावजूद आवंटित भट्ठों को दो साल से कोयला नहीं मिल पा रहा है। कोयला महंगा होने से भट्ठा मालिक इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। डिमांड बढ़ने से एग्रो वेस्ट का संकट खड़ा हो गया है। 2.5 रुपये में बिकने वाला एग्रो वेस्ट अब चार रुपये किलो बिक रहा है। जीएसटी की दरों में भारी वृद्धि कर दी गई है। सरकार की ओर से प्रदूषण के गलत कानूनों में सुधार न करने से भट्ठा मालिक ईंट का कारोबार करेंगे तो बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे। जिले में 150 ईंट-भट्ठे चलाए जा रहे हैं। प्रत्येक ईंट-भट्ठे पर 150 से 175 परिवार रोजगार से जुड़े हुए हैं। जिले के सभी ईंट-भट्ठों पर करीब 25 हजार श्रमिकों का परिवार रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है। मौजूदा समय में कोयला संकट होने से ईंट-भट्ठा मालिकों ने अगले सीजन में कोराबार न करने का निर्णय लिया है। ईंट-भट्ठों का संचालन ठप होने से सबसे पहले रोजी-रोटी से जुड़े श्रमिकों को बेरोजगार होने की मार झेलनी पड़ेगी।
