गुडंबा, लखनऊ।
गुड़म्बा क्षेत्र में स्थित एस.आर. हॉस्पिटल की लापरवाही से गई गरीब दलित महिला की जान ,कुर्सी रोड पर एक्सीडेंट में घायल 65 वर्षीय महिला मालती देवी को भर्ती कराया गया था ।
एडमिट , 6 तारीख शाम से पहले महिला की चली गई थी जान , परिवार वालों ने बताया कि पूरा पैसा जमा करने के चक्कर में हमें सही जानकारी नहीं दिया गया। जब हमने पूरा पैसा जमा कर दिया तो उन्होंने बताया कि आपकी पेशेंट की जान जा चुकी है।
अस्पताल द्वारा कागजी कार्यवाही करके बॉडी को परिवार जनों को सौंप दिया गया। मामले की जानकारी होने के बाद परिवार जनों में शोक का कोहराम मच गया। उसी शाम उन्होंने अस्पताल में धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, पेशेंट की जान जाने की पूरी लापरवाही हॉस्पिटल के ऊपर परिवारजनों ने लगाया। जिसे देखकर ग्रामीण वासी भी काफी आक्रोश में थे। गुडंबा पुलिस, क्षेत्रीय चौकी खत्री इंचार्ज ने मौके पर पहुंचकर बॉडी को हिरासत में लेकर पीएम के लिए भेज दिया।
पोस्टमार्टम होने के बाद पीड़ित के परिवार वालों ने बॉडी को पुनः एस .आर. हॉस्पिटल के अंदर रखकर किया धरना प्रदर्शन, क्षेत्रीय थाना अध्यक्ष नितीश श्रीवास्तव की उपस्थिति में गुड़म्बा पुलिस समेत कई थानों की पुलिस और एसीपी गाज़ीपुर विकास कुमार जायसवाल भी मौजूद रहे ग्रामीण वासियों को समझा बूझकर मामले का त्वरित निवारण किया गया। मिली जानकारी के अनुसार , सरकार द्वारा चलाए गए नियमो के अनुसार कुछ धनराशि देने का निर्ण लिया गया। पीएम रिपोर्ट आने के बाद सर हॉस्पिटल के ऊपर उचित कार्रवाई किया जाएगा। एक्सीडेंट करने वाले व्यक्ति की खोज बीन जांच जारी है,सूत्रों के मुताबिक एस .आर .हॉस्पिटल की लापरवाही से कई मरीजों की जा चुकी है जान। और इस तरीके से कई घटनाएं हो चुकी हैं, अस्पताल के ऊपर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई l उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने अस्पताल के संचालन के लिए कई नियम कानून बनाएं जिन पर आज भी नहीं हुईं कोई कोई अमल,अस्पतालों के लिए योगी सरकार ने एक नियम लागू किया था , जिसमें कोई भी हॉस्पिटल बेसमेंट में संचालन नहीं होगा बेसमेंट केवल पार्किंग के लिए उपयोग किया जाएगा। आज वहीं कुर्सी रोड पर कई ऐसे हॉस्पिटल हैं। जो बिना रजिस्ट्रेशन और बेसमेंट में संचालन कर रहे हैं। एस .आर. हॉस्पिटल आज भी बेसमेंट में मरीजों का उपचार करता है। जिससे कई बड़ी घटनाएं हो सकती हैं। हॉस्पिटलों में फायर अग्निशामक के लिए सुविधाएं नहीं । आखिरकार लखनऊ के सीएमओ ऐसे हॉस्पिटलों को संचालन के लिए क्यों अनुमति दे देते हैं ? यह भी सोचने का विषय है , आखिर कब तक मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ किया जाएगा।