उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में लंबे समय से व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में
उच्चतम न्यायालय द्वारा देश मे क्रिकेट के सुचारू रूप से संचालन के लिए गठित।
लखनऊ।
जस्टिस लोढा समिति के नियमो और दिशा निर्देशों का पूर्णतः उल्लंघन, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा लगातार किया जा रहा है। 1 उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा कुछ दिन पूर्व घोषित उप चुनाव भी नियमो के विपरीत और उच्चतम न्यायालय के नियमों का उल्लंघन है। नियम विरुद्ध और गलत तरीके से बनाये गए लगभग 30 लाइफ मेंबर और कॉरपोरेट मेंबर तथा डायरेक्टर की अयोग्यता को लेकर उच्च न्यालय में अपैक्स कौंसिल मेंबर द्वारा रिट भी दायर की गई है जिस पर अगली सुनवाई की तारीख 3 फरवरी है। उच्च न्यायालय में विचाराधीन इस प्रकरण के बाद भी आगामी 15 फरवरी 2022 को 3 पदों और 2 अपैक्स कउन्सिल सदस्यों के चुनाव कराना सरासर उच्च न्यायालय की अवहेलना है और उच्च न्यायालय इलाहाबाद को दर किनार करके किया जा रहा है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा गलत तरीके से बनाये लाइफ मेंबर को पिछली सुनवाई 10 जनवरी 2022 को नोटिस भी जारी करने के आदेश दिए गए है। इसके अलावा गलत तरीके से बनाये गए अनेक लाइफ मेंबर का नाम भी आगामी चुनाव में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की मतदाता सूची में शामिल है जो कि एसोसिएशन की वेबसाइट पर भी अपलोड की गई है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 96 सदस्यों की जारी की गई वोटिंग लिस्ट के मतदाताओं से चुनाव ऑलाइन कराया जा रहा है जबकि प्रदेश और देश मे विधान सभाओं के चुनाव जिनमे करोड़ो मतदाता हिस्सा लेंगे, फिजिकली बूथ के माध्यम से 10 फरवरी से 10 मार्च के मध्य कराए जाएंगे, जिससे साबित होता है कि ऑनलाइन वोटिंग कराने का उद्देश्य संदेहास्पद और असवैधानिक है। । जिसमे हेराफेरी की पूर्ण संभावना नजर आती है।
यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि जंहा UPCA में वर्ष 2017 में 31 लाइफ मेंबर थे जिनमे से लगभग 15 मेंबर का स्वर्गवास हो चुका है, इस सूची को वर्ष 2021 तक चुपचाप बढ़ाकर 55 कर दिया गया है। जबकि प्रदेश के 75 में से अभी भी लगभग आधे जिले मान्यता को तरस रहे है। यह विडंबना है कि UPCA में अपना एकाधिकार बनाये रखने को अपने खास लोगो को लाइफ मेंबर बना लिया गया जबकि उक्त 38 जनपद अभी तक मान्यता की राह देख रहे है।
2 UPCA की सर्वोच्च समिति अपैक्स कौंसिल को संविधान के अनुसार सुप्रीम मानते हुए अनेक क्रिकेट के संचालन की लगभग सारी शक्तियां दी गई है, जिनमे क्रिकेट से जुड़े सभी निर्णय जैसे विभीन्न समितियों का गठन एवं मैचों के संचालन आदि शामिल है परंतु UPCA द्वारा सरासर इसका उल्लंघन करते हुए संविधान के चैप्टर 10 के रूप में निदेशकों के जरिये निर्णय लिए जा रहे है जोकि पूर्णतः असंवैधानिक है। यहां यह भी उल्लखनीय है कि चैप्टर 10 को UPCA के संविधान में बाद में सम्मिलित किया गया है।
3 UPCA के तत्कालीन सचिव द्वारा उच्चतम न्यायालय मुम्बई को दिए गए पत्र दिनांक, 15 दिसंबर 2020 में उल्लेखित है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में निदेशकों की कोई भूमिका नही है और उनका कार्य क्षेत्र मात्र UPCAa की स्थापना तक ही है। सारे निर्णय लेने का अधिकार अपैक्स कउन्सिल, गवर्निंग और आम सभा को ही है। जबकि वास्तविकता इसके विपरीत रही है। यहां सारे निर्णय अपैक्स कउन्सिल के बजाय बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के द्वारा लिए जा रहे है जो कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन है। जबकि तत्कालीन सचिव UPCA के इस पत्र में इस बिंदु का उल्लेख BCCI के तत्कालीन चुनाव अधिकारी श्री AK Joti ने 15 दिसंबर 2020 के अपने स्क्रूटिनी पत्र में भी किया है। जोकि वर्तमान में आगामी चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त किये गए हैI UPCA में चुनाव की तारीख और प्रकिर्या भी डायरेक्टर द्वारा तय की गई है। जोकि सरासर गलत है।
4 आगामी होने वाले चुनाव की इस ऑनलाइन प्रकिर्या का विरोध भी विभिन्न स्तर से चुनाव अधिकारी को किया गया है क्योंकि ये मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। (प्रतिलिपि साथ में संलग्न है)
5 30 दिसंबर 2021 को उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा वर्चुअल ईजी एम का आयोजन भी बिना अपैक्स कउन्सिल की स्वीकृति के पास कराये बिना किया गया था जोकि पूर्णतः अवैध था। एजेंडा और मीटिंग की तिथि नियमो केअनुसार अपैक्स कौंसिल द्वारा स्वीकृत कराना अनिवार्य है।
21 दिसंबर को ए जी एम को भी ऑनलाइन आयोजित कराना भी सरासर गलत था क्योकि सर्व विदित है कि मीटिंग में सभी के माइक म्यूट करके 15 मिनट में आनन फानन में मीटिंग खत्म कर एक तरफा निर्णय ले लिए गए जबकि क्रिकेट विकास पर किसी सदस्य के सुझाव नहीं लिए गए। 6 पिछली आम सभाओ और अपेक्स कौंसिल बैठकों की मिनट्स अभी तक बार बार मांगने पर भी उपलब्ध नही कराई गई है और वर्तमान में अंतिम बैठक की मिनट्स भी जो दी गई है वे अपूर्ण है और उस मीटिंग के जारी एजेंडे से कतई मेल नहीं खाती है।