बलरामपुर

अशफाक बने थे हिंदू-मुस्लिम एकता के मिशाल

बलरामपुर।

आज के दौर में भले ही राजनीति का दांव-पेच हिंदू तथा मुसलमान के इर्द-गिर्द घूम रहा है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। 1977 के चुनाव में नगर निवासी अशफाक अहमद ने जनसंघ से गठबंधन कर बलरामपुर से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, और जीत हासिल करके हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की। राष्ट्र ऋषि व भारत रत्न नानाजी देशमुख अशफाक को अपना नाती कहते थे।

रविवार को पूर्व विधायक अशफाक अहमद अपना राजनीतिक संस्मरण बताते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि पहले की राजनीति आज की तरह धर्म और जाति के नाम पर वैमनस्य कदापि नहीं था। 1977 में नानाजी देशमुख जब बलरामपुर लोक सभा सीट से प्रत्याशी बनाए गए तो उन्होंने हमें बाहर से आने वाले बड़े नेताओं का प्रोग्राम कराने की जिम्मेदारी सौंपी। चुनाव प्रचार के लिए हेमवतीनंदन बहुगुणा बलरामपुर आए तो मुझे सभा को संबोधित करने के लिए मात्र पांच मिनट का समय दिया गया तो नानाजी नाराज हो गए। संचालनकर्ता से कहा कि मेरे भी बोलने का समय अशफाक को दे दो। नानाजी के चुनाव जीतने के बाद शारदा प्रसाद द्विवेदी जी मेरे घर आए और विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए मुझे लखनऊ जाने को कहा। पैसा न होने पर एमएलके पीजी कालेज के प्राचार्य एके चतुर्वेदी और अन्य शिक्षकों ने चंदा इकट्ठा कर 70 रुपए दिए। अपने मित्र देवीदयाल तिवारी के साथ मैं ट्रेन से लखनऊ में जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के घर पहुंचा। भीड़ अधिक होने के कारण मैं घर में नहीं घुस पाया तो मैंने अपने नाम की एक पर्ची अध्यक्ष जी के पास पहुंचाई। पर्ची मिलते ही उन्होंने बड़े उत्साह से मुझे अपने पास बुलाया और टिकट का आश्वासन देकर घर जाने के लिए कहा।

बाद में अखबार से पता चला कि मुझे बलरामपुर सदर सीट से टिकट मिल गया है। जमानत राशि के लिए चंदा लगाकर पैसा इकट्ठा किया गया। मैंने प्राइवेट बस से गोण्डा जाकर अपना नामांकन दाखिल किया। देवीदयाल की जावा मोटरसाइकिल से मैंने गांव-गांव जाकर प्रचार शुरू किया। बाद में प्रचार के लिए नानाजी ने मुझे अपनी जीप व 10 हजार रुपए का कूपन दिया। मथुरा क्षेत्र में नाराज चल रहे तालुकदार सिंह को मनाने मैं उनके घर पहुंचा तो उनकी पत्नी ने मुझे सहयोग का आश्वासन दिया। इस चुनाव में मैने कांग्रेस प्रत्याशी मान बहादुर सिंह को करीब 3200 मतों से पराजित कर जीत हासिल की।
अशफाक के हारने पर नानाजी ने ले लिया था राजनीति से सन्यास
बलरामपुर। करीब चार दशक पूर्व राजनीति में हिन्दू-मुस्लिम एकता काफी मजबूत थी। सदर से विधायक अशफाक अहमद के प्रति नानाजी के मन में असीम प्रेम था। 1977 में नानाजी ने ही अशफाक को जनसंघ के समर्थन से बलरामपुर सदर का विधायक बनाया था। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की राजनीति कर रहे अशफाक ने बातचीत के दौरान बताया कि 1980 में वह सदर सीट से ही विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मानबहादुर सिंह से करीब 1100 वोटों से हार गए थे। हार से दुखी होकर नानाजी देशमुख ने उसी समय चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया था। कहा था कि अब दीन दुखियों की सेवा ही उनके जीवन का लक्ष्य होगा।

ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।
ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।

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