बलरामपुर

चुनावी मुद्दा बनेगा जंगली जानवरों से सुरक्षा

बलरामपुर।

सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग से सटे करीब डेढ़ सौ गांवों में जंगली जानवरों का आतंक है। आएदिन पालतू मवेशियों के साथ इंसानों को भी नुकसान पहुंच रहा है। पिछले पांच सालों में क्षेत्र के 10 लोगों ने तेंदुए के हमले में जान गंवाई है। दो सौ से अधिक पालतू जानवरों को तेंदुए निवाला बना चुके हैं। जंगल क्षेत्र को सोलर लाइट से रोशन का दावा भी गुम है। तमाम मांग के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है। विधानसभा चुनाव में जंगली जानवरों के हमले से सुरक्षा का मामला चुनावी मुद्दा बन गया है।

सोहेलवा जंगल का क्षेत्रफल 452.77 वर्ग किलोमीटर में बलरामपुर व श्रावस्ती जिलों की सीमा में फैला है। वन क्षेत्र नौ रेंजों में बंटा है। सभी रेंजों की सीमाएं नेपाल देश से जुड़ी हैं। दो देश की सीमा में फैला वन क्षेत्र जंगली जीव-जंतुओं के लिए काफी मुफीद है। बलरामपुर जिले में बरहवा, बनकटवा, जनकपुर, तुलसीपुर यूनिट, भांभर व रामपुर रेंजों में डेढ़ सौ गांव जंगल से सटे हुए हैं। श्रावस्ती जिले में पूर्वी व पश्चिमी सोहेलवा का क्षेत्र आता है। भांभर रेंज में चित्तौड़गढ़ व कोहरगड्डी, बरहवा रेंज में गिरिगिटही और बनकटवा रेंज में खैरवान जलाशय जीव-जंतुओं के लिए प्राकृतिक वरदान है। जिले के सभी छह रेंजों में 17 बड़े पहाड़ी नालों के साथ अन्य कई छोटे-छोटे जलाशयों के प्राकृतिक उद्गम हैं। सभी रेंजों में दो से चार टाइगर, दो प्रजाति के 50 से अधिक तेंदुए, पांच से 10 के बीच में हाथी, एक हजार तक लकड़बग्घे, एक हजार से अधिक जंगली सूकर, कई प्रजाति के 500 से अधिक हिरन सहित अन्य जंगली जानवरों का निवास है।

क्षेत्रवासी राम दुलारे, लल्लू, नौशाद, नेवल किशोर, चंद्रमणि, फैजान व संजय आदि का कहना है कि वर्ष 2018 से अब तक 10 लोगों ने तेंदुओं के हमले में अपनी जांच गंवाई है। अरतपरी, रतनवा, बिनुहनी, कटकुइयां, भटपुरवा, रामडीह, दोंदरा, खदरा, मणिपुर, सहिजना, डेरवा, सोनपुर, सेमरा, बनकटवा, बहरवा, बलिवंता, नेवलगंज, भदवार, भुजेहरा व केवलपुर सहित करीब डेढ़ सौ गांवों में तेंदुओं का आतंक फैला है। जंगल से सटे गांवों में दो सौ अधिक पालतू जानवर भी तेंदुओं का शिकार बन चुके हैं। वन विभाग के पिजड़े में कभी-कभार तेंदुए कैद हो जाते हें जिन्हें जंगल में छोड़ा जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं ने जंगल क्षेत्र से सटे गांवों को सोलर लाइटों से रोशन करने का दावा तो किया था लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी अभी तक जंगल क्षेत्र से सटे गांवों में सोलर लाइटें नहीं लग सकी हैं।

दी जा रही सरकारी मदद

तेंदुओं के हमले से मौत के मामले में पीड़ित परिजनों को 24 घंटे में आपदा प्रबंधन से चार-चार लाख रुपये की मदद दी गई है। विभाग को जरुरी कागजात मिलने के बाद पीड़ित परिजनों को एक-एक लाख रुपये अतिरिक्त मदद के रुप में भी दिए जा रहे हैं। घायल व्यक्तियों का विभाग की तरफ से इलाज कराया जाता है। मवेशियों के नुकसान पर पशुपालकों को सरकारी मदद दिलाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलने के बाद सभी पीड़ितों को सरकारी मदद मुहैया कराई जाएगी। प्रखर गुप्ता, डीएफओ

ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।
ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।

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