किसान विवश: कोल्हू पर बेच रहे गन्ना
चीनी मिल में गन्ना आपूर्ति करने में किसानों को कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में तमाम किसान पैसों की जरूरत पूरा करने के लिए क्रेशरों पर गन्ना बेच रहे हैं। वहां उन्हें 230 से 250 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिल रहा जबकि चीनी मिल में सरकार की ओर से घोषित 340-350 रुपये प्रति क्विंटल है।
बड़ी संख्या में किसान गन्ने की खेती करते है। जिले में चार चीनी मिल हैं, वही जनपद के किसानों का गन्ना नौ चीनी मिलों को जाता है। दो सहकारी चीनी मिलों के साथ बरखेड़ा चीनी मिल किसानों के गन्ना का समय से भुगतान नहीं कर रही है, जिसका फायदा कोल्हू संचालक उठा रहे हैं। जनपद में एक सौ से अधिक गन्ना कोल्हू चल रहे हैं। किसानों सरकार को गन्ना भुगतान में देरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे है। अब वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोल्हू को गन्ना बेच रहे हैं। कम दाम में गन्ना बेचने पर प्रति क्विंटल एक सौ से लेकर एक सौ 20 रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
एलएच चीनी मिल ने चालू सत्र में किसानों का समय से गन्ने का भुगतान कर रही है। मंगलवार को 27 करोड़ चार लाख 86 हजार रुपये का भुगतान किसानों के खातों में भेज दिया है। चीनी मिल की ओर से पेराई सत्र में अभी तक 108 करोड़ 16 हजार का भुगतान कर चुकी है। मिल ने 12 दिसंबर तक किसानों से खरीदे गन्ने का भुगतान कर दिया है। चीनी मिल के कारखाना प्रबंधक आशीष गुप्ता के अनुसार वर्तमान पेराई सत्र में अब तक 48.42 लाख क्विंटल गन्ना की पेराई की जा चुकी है।
कोल्हू पर किसानों का गन्ना दो सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब खरीदा जा रहा है। चीनी मिल में गन्ना सप्लाई कर दो तो साल में पैसे नहीं मिलते है। आर्थिक तंगी के चलते मजबूर होकर गन्ने की बिक्री करनी पड़ रही है।
दिलबाग सिंह, मधवापुर बीसलपुर चीनी मिल में समय से भुगतान ना मिलने के कारण मजबूर होकर अपना गन्ना कोल्हू पर कम दामों में बिक्री करना पड़ रहा है। कोल्हू पर गन्ना बिक्री करने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। पिछले साल का बकाया अभी मिला है।
विनोद कुमार, शिभुआ मिल ठीक से चल नहीं रही है। मिल को गन्ना सप्लाई कर देते हैं तो सालों तक गन्ने का पैसा नहीं मिलता है। गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि क्षेत्र की चीनी मिल सही से संचालन न होना
बिदर सिंह, मरौरी खास सरकारी चीनी मिलों की हालत ठीक नहीं है। यदि चीनी मिल ठीक से चले और समय से किसानों के गन्ने का भुगतान करे तो किसानों को कोल्हू पर गन्ना को बिक्री नहीं करना पड़े। किसानों को कोल्हू गन्ना बिक्री करने से आर्थिक नुकसान होता है।