या देवी सर्वभूतेष मातृ रुपेण संस्थिता…
बलरामपुर।
शारदीय नवरात्र के पंचमी तिथि को देवी भगवती के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना के लिए देवी मंदिरों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। रविवार को भक्तों ने शक्तिपीठ देवीपाटन सहित सभी देवी मंदिरों में विधि विधान के साथ माता के इस स्वरूप की पूजा अर्चना की।
मां भगवती की पांचवी शक्ति का नाम स्कंदमाता है और नवरात्र पंचमी के दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा का विधान है। धर्मग्रंथों के अनुसार तारकासुर को यह वरदान था कि उसका संघार भगवान शंकर के पुत्र से ही होगा।
तारकासुर के पाप के भार से पृथ्वी को मुक्त कराने के लिए भगवान शंकर और देवी पार्वती के मांगलिक मिलन से भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) का जन्म हुआ। स्कंद कुमार की माता होने के कारण देवी को स्कंदमाता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता का ध्यान करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति निष्पाप हो जाता है।
रविवार की भोर पहर से ही जिले के सभी देवी मंदिरों में देवी की आराधना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई। शक्तिपीठ देवी पाटन मंदिर में भोर पहर से ही श्रद्धालु सूर्य कुंड में स्नान कर मां पाटेश्वरी की पूजा अर्चना के लिए कतारबद्ध हो गए।
नवरात्र पंचमी पर मंदिर में सुबह से लेकर देर रात तक मुंडन, कर्णक्षेदन एवं जनेऊ संस्कार भी हुआ। बिजलीपुर स्थित बिजलेश्वरी देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने देर रात तक देवी के श्रीयंत्र की पूजा अर्चना की।
इसके अतिरिक्त तुलसीपुर स्थित नई देवी मंदिर, नगर स्थित झारखंडी मंदिर, कालीमाता मंदिर, सम्मय माता मंदिर, परसपुर कमदा स्थित श्री आदि शक्तिपीठ मंदिर, बड़िकी बहिनी थान, उतरौला स्थित ज्वालादेवी मंदिर, सुहेलवा जंगल स्थित रहिया देवी मंदिर, महुआ इब्राहिम स्थित करिया दुर्गा मंदिर एवं झिंगहा माता मंदिर में भी स्कंदमाता की पूजा अर्चना के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।