ईंट-भट्ठा संचालकों ने कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन
जीएसटी दर में बढ़ोत्तरी किए जाने के खिलाफ मंगलवार को ईंट-भट्ठा संचालकों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर विरोध जताया है। धरना-प्रदर्शन के बाद ईंट-भट्ठा संचालकों की तरफ से वित्त मंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा गया है। ईंट-भट्ठा संचालकों ने वित्त मंत्री से मांग किया है कि कोरोना काल में हुए भारी नुकसान को देखते हुए जीएसटी दर न बढ़ाई जाए। जीएसटी दर बढ़ने से ईंट-भट्ठा संचालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। ईंट-भट्ठे का कारोबार तबाह होने से प्रधानमंत्री का सपना भी पूरा नहीं हो सकेगा।
ईंट-निर्माता कल्याण समिति अध्यक्ष मोहम्मद मारुफ खां, महामंत्री सुभाष चंद्र मिश्र, कोषाध्यक्ष राधाकृष्ण, शफीक अहमद, विजय यादव, इरशाद आलम, हारून खां, राम गोपाल यादव, मंजूर अहमद, गुड्डू उतरौला, रईस अहमद, बीपी सिंह व खलील अहमद आदि ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि 17 अगस्त को लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक हुई। बैठक में भट्ठे से निर्मित लाल ईंटों पर जीएसटी दर में अधिक वृद्घि करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। नए प्रस्ताव से ईंट-भट्ठा कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पिछले दो साल से कोरोना महामारी के कारण ईंट-भट्ठे का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो चुका है।
ईंट-भट्ठा कारोबारियों की वित्तीय स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है। ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले श्रमिकों को कारोबार ठप होने पर रोजगार गवाने पड़ेंगे। जीएसटी दर को बढ़ाने का प्रस्ताव जन विरोधी है। ईंट-भट्ठे का कारोबार प्रभावित होने पर प्रधानमंत्री का सपना सबका घर 2022 में हो अपना सपना रह जाएगा। मैन्यू फैक्सरर्स सेक्टर को 40 लाख तक सालाना टर्नओवर पर जीएसटी कर मुक्त है। इन सबके बावजूद बैठक में ईंट निर्माताओं के लिए 20 लाख रुपये सालाना टर्नओवर तक कर मुक्त का प्रस्ताव किया गया है जोकि ईंट-भट्ठा कारोबारियों के साथ घोर अन्याय है। नए नियम में बिना आईसीटी लिए कर की दर छह प्रतिशत और सामान्य रुप से ईंटों के पांच प्रतिशत कर को 12 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव किया गया। ये दोनों वृद्घि दर प्रस्ताव उद्योग व जनहित के खिलाफ है।