थारू जनजाति के 23 परिवार के 92 वोटर करते हैं मतदान
बलरामपुर।
भुसहरपुरई के मजरा भौरीसाल गांव की तस्वीर बदलनी अभी बाकी है। अब सोहेलवा जंगल और भांभर नाला पार कर गांव पहुंच सकते हैं। गांव में थारू जनजाति के 23 परिवार रहते हैं। जिनमें से 250 आबादी और 92 मतदाता हैं। सीसी सड़क, नाली का निर्माण हुआ है, लेकिन यहां पर बिजली नहीं है। हैंडपंप न होने से कुएं के पानी से आज भी लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। सोलर पंप से पेयजलापूर्ति की व्यवस्था सीमित क्षेत्र में ही है। गांव में स्कूल न होने से बच्चे खेल-कूद में मस्त रहते हैं।
एक तरफ जंगल की वादियां तो दूसरी तरफ नेपाल के पर्वत श्रृंखला का प्रतिबिब दिखता है। पचपेड़वा ब्लाक मुख्यालय से 22 किमी दूर स्थित भौरीसाल पहुंचने के लिए तीन किमी जंगल में चलना पड़ता है। उसके बाद भांभर पहाड़ी नाला पार कर लोग गांव पहुंचते हैं। गांव की गलियां सीसी है। पक्की नाली बनी है। यहां पर पात्रों को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास का लाभ मिला है।
गांव की रहने वाली शिल्पी ने बताया कि सोलर पंप से दिन में पानी मिलता है। शाम होते ही कुआं का पानी लेना पड़ता है। करीना ने बताया कि स्कूल तीन किमी दूर भुसहरपुरई में है। इसलिए पढ़ाई के लिए कम लोग जाते हैं। जबकि मुन्नी कहती है कि अस्पताल करीब सात किमी दूर विशुनपुर विश्राम में है। इलाज के लिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रीता कहती हैं कि बिजली का खंभा और तार लगा है। नाला में लगा विद्युत पोल वर्षों पहले गिर गया था। जिसे अब तक सही नहीं कराया गया है।
प्रधान महीनकी का काम देख रहे हनुमान ने बताया कि गांव का तेजी से विकास किया गया है। चार और लोगों को आवास दिलाने का प्रस्ताव दिया गया है। सोलर पंप के द्वारा पाइप लाइन से पेयजलापूर्ति की व्यवस्था है। गांव में 12 स्थानों पर टोटी लगवाई गई है। आवास की किस्त न मिलने का आरोप गलत है। बीडीओ सुमित कुमार सिंह का कहना है कि थारू जनजाति वाले गांवों के विकास पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
![ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।](https://www.crimeweek.in/wp-content/uploads/2021/08/IMG-20210712-WA0152-1.jpg)