बाल श्रमिकों को मुख्य धारा से जोड़ते हुए स्कूल भेजना किया शुरू
बलरामपुर।
गरीबी के चलते होटलों व कारखानों में काम कर बचपन गंवाने वाले बाल श्रमिकों के कल्याण की कोशिश रंग ला रही है। सरकार ने 71 बाल श्रमिकों को न केवल मजदूरी से मुक्ति दिला दी बल्कि उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ते हुए स्कूल भेजना शुरू कर दिया है। इन बच्चों को हाल ही में बाल श्रमिक विद्या योजना से जोड़ कर दो-दो माह की छात्रवृत्ति 1,25,000 रुपये दी गई है। छात्रवृत्ति पाने वालों में 34 छात्राएं हैं, जिन्हें 1200 रुपये प्रतिमाह दिया गया है। साथ ही 37 छात्रों को एक हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से दिया गया है। यही नहीं कक्षा आठ, नौ व 10 में प्रवेश लेने पर कापी किताब खरीदने के लिए 6000 की आर्थिक मदद भी देने की तैयारी है, जिससे पढ़ाई में को बाधा न हो। अब संवार रहे जिदगी।
तुलसीपुर सिकटिहवा के रहने वाले मनीराम का परिवार काफी गरीब था। इस कारण उनकी 16 वर्षीया पुत्री शिखा स्कूल नहीं जा पा रही थी, लेकिन श्रम विभाग के प्रयास से वह अब निकट के कंपोजिट विद्यालय सिकटिहवा में पढ़ रही है। श्रीदत्तगंज क्षेत्र के मुजेहनी निवासी साधना देवी भी पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। अब वह भी उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्रा है। इस तरह पढ़ाई छोड़ चुके 71 बच्चे फिर से जिदगी संवार रहे हैं। नया सवेरा परियोजना के टेक्निकल रिसोर्स पर्सन मनोज तिवारी ने बताया कि श्रमिक विद्या योजना में पढ़ाई छोड़ चुके जेल में निरुद्ध बंदियों, दिव्यांगजन व गंभीर रोगियों, अत्यंत गरीब परिवारों के बच्चों का चयन किया जाता है। साथ ही बाल श्रमिक निषेध अभियान से छुड़ाए गए व अनाथ बच्चों को भी लाभ दिया जाता है। नामांकन के बाद 70 प्रतिशत उपस्थिति होने पर इन्हें छात्रवृत्ति एवं आर्थिक मदद मिलती है। सहायक श्रमायुक्त कुलदीप सिंह ने बताया कि योजना से 71 बच्चों को दो माह की छात्रवृत्ति हाल ही में दी गई है। बजट मिलते ही फिर से छात्रवृत्ति दी जाएगी।