पेंशन और इलाज कराने को नहीं मिला पैसा, उपभोक्ता परेशान
बाराबंकी।
राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के आह्वान पर चल रही हड़ताल के दूसरे दिन भी बैंक पूरी तरह से बंद रहे। उपभोक्ताओं को इलाज, दवा आदि खरीदने के साथ पेंशन की रकम निकालने के लिए परेशान होना पड़ा। दो दिनों की बैंक हड़ताल से करीब 200 करोड़ रुपये के लेनदेन पर असर पड़ा है।
बैंक के निजीकरण समेेत कई अन्य मांगों को लेकर यूएफबीयू के आह्वान पर चल रही हड़ताल के दूूसरे दिन भी बैंक बंद रहे। गांव-कस्बों में इक्का-दुक्का शाखाएं खुलीं दिखीं लेकिन उपभोक्ताओं के लिए लेनदेन नहीं हुआ।
दूसरे दिन भी हड़ताल की जानकारी से अंजान कई उपभोक्ता जब इलाज और दवा के साथ जरूरी कार्य के लिए पेंशन की धनराशि निकालने बैंक पहुंचे तो वहां ताला बंद देख मायूस हुए।
दो दिनों की इस हड़ताल के चलते जिले में करीब 200 करोड़ के लेनदेन पर असर पड़ा है। वहीं जिलेभर में करीब डेढ़ सौ एटीएम हैं। इनमें से अधिकतर एटीएम दोपहर तक खाली हो गए।
उधारी लेकर खरीदनी पड़ेगी दवा
कस्बा बदोसरांय की शाखा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बाहर बैठी गोपीपुर निवासी सुदामा देवी ने बताया कि एक सप्ताह से तबीयत खराब है। पैसा न मिलने के कारण दवाई लेने नहीं जा पा रही हैं। अब किसी से उधार लेकर दवा खरीदनी पड़ेेगी।
पेंशन की नहीं निकली रकम
पौत्र के साथ हैदरगढ़ कस्बे के स्टेट बैंक में अपनी दिवंगत पति की पेंशन निकालने आईं भनौली गांव निवासी वृद्धा यशोधरा ने बताया कि उन्हें हार्ट की बीमारी है। डॉक्टर को दिखाना है लेकिन बैंक बंद होने से पैसा ही नहीं मिला।
हड़ताल की नहीं थी जानकारी
हैदरगढ़ क्षेत्र के ग्राम बारीखेरा निवासी रामकली को घर के जरुरत के लिए सेंट्रल बैंक में पैसे निकालने आईं थी लेकिन हड़ताल की जानकारी नहीं थी। पैसा नहीं मिलने से दिक्कतें आ रही हैं। ऊपर से शनिवार को दोपहर तक ही बैंक खुलेगा भीड़ भी होगी।