बाहर से दवाओं का जांच के साथ थमाया था पर्चा
बलरामपुर।
स्वास्थ्य मंत्री अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की टोह ले रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी महकमे की कार्य प्रणाली नहीं बदल रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैंसड़ी में भी मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। पैथोलाजी में सिर्फ सामान्य जांच होती है। दुर्घटना में घायल व गर्भवती को निजी पैथोलाजी का पर्चा थमा दिया जाता है। दुर्घटना होने पर रक्त थक्का जमने के लिए जरूरी दवाएं नहीं है और प्रसव कक्ष में आक्सीटोसिन इंजेक्शन नहीं है। सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों को निश्शुल्क नहीं महंगा इलाज मिल रहा है।
गुरुवार सुबह 11 बजे सीएचसी अधीक्षक डा. वीरेंद्र आर्य व डा सुशील कुमार मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करते मिले। दोनों लोगों ने करीब 90 मरीजों का परीक्षण कर परामर्श दिया था। महिला चिकित्सक डा. रोशन आरा अपने कक्ष में मिलीं। बताया कि अब तक 25 मरीजों को देख चुकीं हैं। हलौरा निवासिनी गर्भवती अकलावती, राम विलास व राम दुलारे ने बताया कि बाहर की दवा लिखी गई है। जांच भी बाहर से ही करानी पड़ती है। नाम का ही सरकारी अस्पताल है।
दवाओं की कमी से जूझ रहा अस्पताल:
सीएचसी में इंजेक्शन, सीरप, टेबलेट के रूप में करीब 45 दवाओं की सूची लगी है। चीफ फार्मासिस्ट सलाहुद्दीन व अरविद यादव ने बताया कि अस्पताल में कफ सीरप, बच्चों के लिए दस्त के सीरप, आंख व कान की दवा नहीं है। सिपरोफ्लाक्सिन, सीपीएम टेबलेट, एंटी एलर्जिक, थायराइड की दवा थायराक्सिन, हेमोसील,ओफ्लाक्सासिन, टिडाजोल,एम्पीसिलीन,मैग्नीशियम सल्फेट, आक्सीटोसिन, सेट्राजीन, बीटाडीन लोशन नहीं है।
टेलीमेडिसिन सेंटर बंद:
टेलीमेडिसिन सेंटर बंद है। यहां तैनात कर्मी कमलेश कुमार एक सप्ताह से नहीं आता है। बताया गया कि चार माह से मानदेय नहीं मिला है। आयुष्मान मित्र सत्यम को दो माह, स्वीपर अर्जुन व राजकुमार को पांच माह से मानदेय नहीं मिला है। संस्थागत प्रसव के मूल्यांकन के लिए 19 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य टीम आएगी। डा. संतोष, डा. राम समुझ, डा. वसीम अहमद अभिलेख तैयार करते मिले।