बहराइच

तराई की लैब में बने जैव उर्वरक से लहलहाएंगी फसलें

बहराइच।

मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में तैयार जैव उर्वरक से देवीपाटन मंडल के किसानों की फसलें लहलहाएंगी। पांच साल बाद एक बार फिर तैयार जैव उर्वरक के प्रयोग से करीब 20 फीसद तक डीएपी पर निर्भरता भी खत्म हो जाएगी। 15 दिन के कड़े परिश्रम से तैयार उर्वरक के 37,620 पैकेट चार जिलों के कृषि विभाग को भेज दिए गए हैं।

प्रयोगशाला में तीन तरह के जैव उर्वरक बनाए गए हैं। पहला राइजोबियम दलहनी फसलों के लिए, दूसरा एजोटोबैक्टर और तीसरा पीएसबी सभी फसलों के लिए है। तकनीकी टीम को राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में तीन दिवसीय प्रशिक्षण भी बीते माह दिया गया। गाजियाबाद की कंपनी से विषाणु मंगाए गए।

प्रयोगशाला में लगी लेमिनार मशीन में अल्ट्रावाइलट किरणों के माध्यम से विषाणु को प्रभावशाली बनाते हुए जैव उर्वरक तैयार किया गया। इसे फसल की बोआई से पहले बीज में मिलाया जाता है। दो सौ ग्राम का एक पैकेट दस से 12 किलोग्राम बीज में मिलाने से डीएपी कम प्रयोग करना पड़ता है।

मृदा प्रयोगशाला के अध्यक्ष डीके भारती ने बताया कि छह तकनीकी विशेषज्ञों के साथ करीब 25 सदस्यीय टीम ने इसे बनाने में सफलता हासिल की है। प्रदेश की 17 प्रयोगशालाओं में जैव उर्वरक बनाने पर काम किया गया है। इसमें बहराइच भी शामिल है।

मात्र 5.25 रुपये में एक पैकेट

प्रयोगशाला से तैयार एक पैकेट पर 75 फीसद अनुदान मिलेगा। अध्यक्ष डीके भारती ने बताया कि 21 रुपये की पैकेट पर 15.75 रुपये अनुदान डीबीटी के माध्यम से दिया जाएगा। किसानों को महज 5.25 रुपये में दो सौ ग्राम का पैकेट कृषि विभाग देगा।

मृदा परीक्षण को रखा था मानक

प्रयोगशाला में तैयार जैव उर्वरक को बनाने में मृदा परीक्षण की रिपोर्ट को आधार बनाया गया। मिट्टी की जांच के बाद मिले परिणामों के आधार पर जैव उर्वरक बनाने का काम किया गया। इसका प्रयोगात्मक परीक्षण करने पर सकारात्मक परिणाम मिले थे।

इन जिलों को भेजा गया उर्वरक

गोंडा- 13,680

बलरामपुर- 7,695

बहराइच- 11,970

श्रावस्ती- 4,275

ब्यूरो रिपोर्ट- राजीव बेदी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button