पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व अनीस मंसूरी ने लम्बे संघर्ष के बाद किया जन आंदोलन ।
लखनऊ
बाराबंकी, पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व अनीस मंसूरी ने कहा कि 16 सालों के लम्बे संघर्ष के बाद जब हमने पसमांदा मुसलमानो की समस्याओं को लेकर के देश में जब जन आंदोलन खड़ा किया तो जमींदारी सोच रखने वाली राजनैतिक पार्टियों और उन पार्टियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सरकारी मौलानाओं व नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है।ऐसे लोग पसमांदा आंदोलन को डैमेज करने का काम कर रहे हैं। इस की शुरुआत उस मौलाना ने बाराबंकी की सरज़मीन अपने आबाई वतन से 28, अगस्त को की थी।
अनीस मंसूरी ने कहा कि मैं उस मौलाना को उसी की सरज़मीन बाराबंकी पर जवाब देने आया हूं।
अनीस मंसूरी आज पसमांदा मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित पसमांदा राज्य सम्मेलन, रहमानिया कार बाज़ार, मेजर पेट्रोल पम्प के पास गोण्डा बाई पास बाराबंकी में सम्बोधित कर रहे थे।
अनीस मंसूरी ने कहा कि जब पसमांदा मुसलमान अपना हक़ पाने के क़रीब होते हैं तो पसमांदा दुश्मन सोच के लोग इस्लाम की दुहाई देकर हमारे आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास करते हैं।
अनीस मंसूरी ने कहा की जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार संविधान सभा में आरक्षण को ख़त्म करने की बात कर रहे थे तो बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने दलितों के आरक्षण ख़त्म करने का विरोध किया उस वक़्त सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पिछड़ों के आरक्षण खत्म करने का विरोध किया लेकिन संविधान सभा में सामंतवादी विचारधारा के मुसलमानो ने दलित मुसलमानो और पिछड़े मुसलमानो के आरक्षण पर खामोश क्यों थे? खामोश इस लिए थे कि कहीं पसमांदा मुसलमानों को भागेदारी मिलने लगी तो हमारी गुलामी कौन करेगा? यही वजह है कि 74 सालों से पसमांदा मुसलमान दलित आरक्षण से महरूम है।
इन 74 सालों में सामंतीसोच के किसी मौलाना या तथाकथित सेक्युलर राजनैतिक दलों ने यह प्रतिबंध हटाने की दिशा में कोई प्रयास करना तो दूर इस पर बात तक नहीं की आज जब इस आंदोलन को अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री से लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों और देश भर में पहुंचा दी तो ऐसी सामंतवादी सोच के लोग इस आंदोलन को यह कहकर डैमेज कर रहे हैं कि इस्लाम में कोई पसमांदा नहीं होता है सभी लोग बराबर हैं।
अनीस मंसूरी ने कहा कि इस बात को सिर्फ हम ही नहीं बल्कि मुसलमानों की कुल आबादी के 85 प्रतिशत पसमांदा भी मानते हैं।
अनीस मंसूरी ने कहा कि हम पसमांदा मुसलमानों की बदहाली को लेकर समाज में व्याप्त भेदभाव पूर्णनीति और दुर्व्यवस्था के खिलाफ जंग लड़ रहे है। हमें ख़ुशी है कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों और पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब हमारे इस आंदोलन को कामयाबी हासिल होगी।
पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रदेश अध्यक्ष (कार्यवाहक ) खुर्शीद आलम सलमानी ने कहा कि मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान हैं, केंद्र और राज्य की सरकारों ने भी इनका शोषण किया है, सरकारों के अनदेखी के कारण इनके पुश्तैनी कारोबार समाप्त हो गये हैं। आज पसमांदा मुसलमान भुकमरी के शिकार हैं, इनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
सरकारों के पास इन पसमांदा मुसलमानों के विकास के लिये कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है।
सम्मेलन को मौलाना सिराज बारूदी, चेयरमैन दरियाबाद सरफ़राज़ कुरैशी, मौलाना शमीम अहमद, मौलाना तफसीर हुसैन,दाऊद अलीम चेयरमैन प्रतिनिधि ज़ैदपुर, अशफाक मंसूरी ज़िला पंचायत सदस्य निन्दूरा, मास्टर अदील मंसूरी, शमीम अहमद सलमानी, मालिक रहमानिया कार बाज़ार ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर जनपद बाराबंकी के अलावा लखनऊ,, गोण्डा, फैज़ाबाद के अतरिक्त कई जनपदों से लोग उपस्थित थे।
