बलरामपुर

राजनीतिक दलों को गन्ना किसानों का दर्द नहीं दिखता

बलरामपुर।

देवीपाटन मंडल की नकदी फसल गन्ने की खेती अब किसानों के लिए दर्द का सबब बनकर रह गई है। कहीं लाल सड़न रोग का शिकार होकर फसल चौपट हो रही है तो कहीं चीनी मिलों से भुगतान न मिलने के कारण किसान खून के आंसू रो रहा है। सट्टा बनवाने से लेकर आपूर्ति पर्ची जारी होने में बिचौलियों के खेल से मध्यम वर्गीय किसानों का गन्ना खेत में ही खड़ा सूख रहा है। कुछ किसानों ने तो इसे दुख का कारण मान खेत में ही जला डाला। यही कारण है कि तीन लाख से अधिक किसानों में 167631 ही 95986 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती कर रहे हैं। चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। राजनीतिक दलों के नेता किसानों की आय बढ़ाने के लिए तरह-तरह सब्जबाग दिखा रहे हैं, लेकिन गन्ना किसानों की परेशानी उनके लिए मुद्दा नहीं है। चीनी मिल से गन्ना मूल्य बकाया भुगतान, बिक्री में बिचौलियों की दखल खत्म करने के बात तो हर बार उठी, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने आश्वासनों का झुनझुना थमाने के सिवा कुछ नहीं किया। सूखा गन्ना देख गीली हो जाती है आंख।

रेहरा बाजार में पलिहरनाथ के निकट खेत में गन्ना काट रहे शंकर लाल का कहना है कि पिछले दो साल से गन्ना किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। 12 बीघा गन्ना था। एक पर्ची भी नहीं बिकी। कटाई व छिलाई का भी पैसा नहीं निकल रहा था। इसलिए तीन बीघा गन्ना खेत में ही फूंक दिया। पत्नी तारा देवी कहती हैं कि सिर्फ गन्ने का ही सहारा था। वह भी छिन गया। नौडिहवा की सुमिरता देवी का कहना है कि साढ़े सात बीघा गन्ना खड़ा है, लेकिन एक पर्ची भी नहीं मिली। उदयपुर के बाड़े को भी पर्ची में बिचौलियों की दखलदांजी का दर्द है। वह कहते हैं कि दो बीघा गन्ना खड़े सूख रहा है। पर्ची नहीं मिली। लगभग यही हाल डेढ़ लाख से अधिक किसानों का है जो बर्बाद हो चुकी गन्ने की फसल को देखकर सिर पकड़ लेते हैं। जिला गन्ना अधिकारी आरएस कुश्वाहा कहना है कि गन्ना आपूर्ति में बिचौलियों की दखलंदाजी खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। गन्ना किसानों का बजाज चीनी मिल 38 करोड़ रुपये बकाया है। इसका भुगतान दिलाने के लिए कार्रवाई की जा रही है।

ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।
ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।

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