22 क्विटल आलू की खेती एक बीघे में
बलरामपुर।
कहते हैं कि आंगन में बेटी की किलकारी गूजें तो घर स्वर्ग बन जाता है। पापा की लाडली अब खेती-किसानी में क्रांति ला रही हैं। कभी नुकसान का पर्याय कही जाने वाली खेती को बेटियां अब उसे मुनाफेमंद बना रही है। रेहरा बाजार ब्लाक के रामपुरअरना निवासी छठी राम की चार बेटियों में दूसरे नंबर की सुनीता जायसवाल न केवल किसानों को वैज्ञानिक व आधुनिक खेती करने के लिए जागरूक कर रही हैं, बल्कि खुद भी मचान व सहफसली खेती कर लोगों के लिए नजीर बन गई। उसने एक बीघा क्षेत्रफल में 22 क्विटल आलू पैदा कर अन्य किसानों के लिए खेती से कमाई की राह खोली है। खास बात यह है जो सफेद पुखराज आलू का उत्पादन किया है, उसका न केवल वजन ज्यादा होता है बल्कि अन्य आलू की अपेक्षा यह कम खराब होता है। नुकसान की परंपरा तोड़ने की थी ललक।
सादुल्लाहनगर में एजी हाशिमी इंटर कालेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा ने देखा कि किसान हमेशा नुकसान में रहते हैं। परंपरागत खेती में लागत अधिक व उत्पादन कम होता है। उसने समझाना शुरू किया तो लोग उस पर ही ताने कसने लगे कि खुद खेती करके दिखाओ तब समझाने आना। इस पर उसने सहफसली व वैज्ञानिक खेती खुद करने की ठान ली। घर वालों को उसकी सलाह अच्छी लगी। नवंबर में पानी संस्था के जिला प्रबंधक राजीव मिश्र से दो क्विटल पुखराज आलू लेकर बोआई कर दी। साथ ही अच्छी उपज के लिए उनके बताए विधि से खेती शुरू की। दो बार मिट्टी चढ़ाने व रसायनिक खाद के साथ देशी खाद डाली। जब आलू खोदाई हुई तो अच्छी उपज देख घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने अब मचान विधि अपनाकर नीचे प्याज व ऊपर लौकी लगाया है जिससे दो फसल एक साथ तैयार होगी। जिला कृषि अधिकारी डा.आरपी राणा का कहना है कि सुनीता ने खेती में जो आयाम हासिल किया है, उससे जिले के अन्य किसानों को सीख लेनी चाहिए।
