लखनऊ

एसआरएमयू में छात्रों ने बिखेरा प्रतिभा का जलवा

बाराबंकी / लखनऊ।

श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय बाराबंकी अपनी स्थापना के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार 04 नवंबर से एक दशकोत्सव समारोह मना रहा है। इस तीन दिवसीय समारोह का शुक्रवार को प्रथम दिन था। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति इंजीनियर श्री पंकज अग्रवाल, प्रतिकुलाधिपति इंजीनियर पूजा अग्रवाल, कुलपति प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा के कर कमलों से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन और छात्रों द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ।

उद्घाटन समारोह में बोलते हुए कुलाधिपति श्री पंकज अग्रवाल ने विश्वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक शिक्षण संस्थान का काम समाज को बेहतर बनाना है और इस काम को श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय बहुत ही बखूबी से कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास सुनाने को तो विश्वविद्यालय से संबंधित बहुत सी कहानियां हैं लेकिन आज विश्वविद्यालय प्रदेश के नामचीन विश्वविद्यालयों में शामिल है। विश्वविद्यालय को उसके इस मुकाम तक लाने में विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय दशकोस्त्व समारोह ‘शाश्वत का पूरा कॉन्सेप्ट ही हमारे एक पूर्व विद्यार्थी ने तैयार किया है। कुलाधिपति के अतिरिक्त समारोह को प्रतिकुलाधिपति इंजीनियर पूजा अग्रवाल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़ी हुई स्मृतियों को याद करते हुए बताया कि कैसे एक कॉलेज से विश्वविद्यालय बनने तक के सफर में तमाम तरह के उतार-चढ़ावों को पार किया और आज विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में एक अग्रणी शिक्षण संस्थान बन चुका है। इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय की प्रगति पर एक नजर डालते हुए कहा कि श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय की स्थापना को आज एक दशक का समय हो गया है। शुरू से लेकर आज तक का विश्वविद्यालय का सफर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होने का रहा है। 500 विद्यार्थियों और चार संस्थानों से आरंभ हुए विश्वद्यिालय में आज सात हजार से अधिक विद्यार्थी और 11 संस्थानों में 96 से ज्यादा पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। शिक्षण के साथ-साथ विश्वविद्यालय शोध के क्षेत्र में भी एक अग्रणी संस्थान बन चुका है। आज विश्वविद्यालय में तीन सौ से अधिक शोध छात्र पंजीकृत हैं और अब तक 90 विद्यार्थी पीएचडी कर चुके हैं। आज विश्वविद्यालय के पास अकादमिक और उद्योग क्षेत्र से सौ से अधिक एमओयू हैं जो विश्वविद्यालय की उत्कृष्टता को साफ-साफ दर्शाते हैं। विश्वविद्यालय में न केवल शिक्षण पर अपितु विद्यार्थियों के सर्वागिण विकास पर जोर दिया जाता है। इसके लिए विश्वविद्यालय में सोलह क्लब अलग-अलग क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम को उद्योग की मांग के अनुरूप बनाने और अकादमिक और उद्योग के अंतर को समाप्त करने के लिए उद्योग जगत से विशेषज्ञों को बोर्ड ऑफ स्टडीज और अकादमिक काउंसिल में शामिल कर रखा है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के रजिस्टार डॉ वीके सिंह ने किया।

वक्ताओं के उद्घाटन संबोधन से पूर्व छात्रों ने अपनी अनूठी प्रस्तुतियों से समारोह को चार चांद लगा दिए। सबसे पहले एक छात्रा पूर्वासा ने बहुत ही सुंदर शास्त्रीय नृत्य पेश कर सबका मन मोह लिया। इसके बाद दक्षेश ने भी बहुत अच्छा शास्त्रीय नृत्य पेश किया। शिवेन्द्र ने अपने बांसुरी वादन से तो माहौल को सुरमय बनाकर सभी दर्शकों को आनंदित कर दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय के दस वर्षों के इतिहास को समेटे हुए एक डॉक्युमेंट्री का प्रदर्शन किया गया। इस डॉक्युमेंट्री को सभी दर्शकों ने सराहा और इसमें दी गई।
आवाज के लिए डॉक्टर आकांक्षा निगम की प्रशंसा की। इसके बाद विद्यार्थियों ने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक झलकियों से त्रेता युग में प्रभु श्री राम और द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण से लेकर आधुनिक उत्तर प्रदेश तक की शानदार झलक प्रस्तुत की।

शाम को विश्वविद्यालय में एक मुशायरे का आयोजन हुआ इस मुशायरे का प्रमुख आकर्षण यश भारती सम्मान से सम्मानित कवि डॉ विष्णु सक्सेना थे। डॉक्टर सक्सेना के अतिरिक्त अन्य कवियों ने भी श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर प्रोफेसर प्रतिकुलपति प्रोफेसर (डॉ.) अजय प्रकाश, रजिस्ट्रार डॉ. वीके सिंह, प्रोफेसर (डॉ.) बीएम दीक्षित, परीक्षा नियंत्रक डॉ. आकांक्षा निगम, प्रोफेसर बॉबी लायल और विश्वविद्यलय के अन्य अधिकारी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

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