शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर भंडारा आयोजित किया गया
सैदपुर।
खानपुर क्षेत्र के फरीदहा स्थित ऐतिहासिक मुक्तिकुटी धाम में श्रद्धालुओं ने ज्योतिष पीठ एवं द्वारका शारदा पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर भंडारा आयोजित किया गया। स्वामीजी के आध्यात्मिक और सनातन संस्कृति के उपदेशों को जन जन तक पहुचाना ही स्वामीजी को सच्ची श्रद्धांजलि माना गया।
हिंगलाज सेना की राष्ट्रीय अध्यक्षा साध्वी लक्ष्मीमणि शास्त्री ने कहा कि दिवंगत स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के ध्वजवाहक एवं भारतीय संस्कृति के पुरोधा थे। ऐसे महापुरुषों का परलोक गमन हमेशा ही देश धर्म एवं समाज संस्कृति के लिए दुख का विषय है। परालौकिक स्वरूप स्वामीजी के विषय में कुछ भी बोलना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
सबसे लंबे समय पचास वर्षों तक शंकराचार्य और दो पीठों के पीठाधीश्वर रहे स्वरुपानंद जी को भारत सरकार द्वारा स्वामीजी को भारतरत्न देना चाहिए। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामीजी को तिरंगे के साथ राजकीय सम्मान के साथ समाधि दी गई। अंतरराष्ट्रीय मानस कथा वाचक सुश्री नीलमणि शास्त्री ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद महाराज का सरल जीवन और उत्तम चरित्र युवाओं और आध्यात्मिक लोगों के लिए प्रेरणा से परिपूर्ण है। मुक्तिकुटी धाम में सर्वसम्मति से स्वामीजी की आमद कद मूर्ति स्थापना का निर्णय लिया गया। जोगेंद्र सिंह, अजित पाठक, बालकृष्ण पाठक, अरुण प्रकाश सिंह, जयप्रकाश सिंह, रामभद्र पाठक, कमलेश यादव, प्रदीप पाठक रहे।