लखनऊ

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर समुदाय के हितों एवं उत्थान के लिए सरकार पर तीखा प्रहार

लखनऊ।

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा के लिए प्रतिवर्ष अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सभी देशो को अपने देश में स्थित अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिको को समान अधिकार एवं अनुकूल जीवन परिस्थितियाँ उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध किया जाता है। अनीस मंसूरी ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि संविधान में अल्पसंख्यकों को प्रदत्त अधिकारों में जैन, सिख, पारसी, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम सबको बराबर अधिकार प्राप्त हैं लेकिन जब अल्पसंख्यकों खासकर बहुसंख्यक मुस्लिम पर अत्याचार होता है तो सिख समुदाय के अलावा कोई अल्पसंख्यक एकदूसरे के साथ नज़र नहीं आता। अल्पसंख्यक कौमों की सूची में जैन, पारसी, सिख, ईसाई, बौद्ध संपन्न कौमें हैं और मुख्य धारा से भी जुडी हैं। अल्पसंख्यकों में बहुसंख्यक मुस्लिम समाज की है जिसमें ८० प्रतिशत पसमांदा मुस्लिम समाज है। अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए अल्पसंख्यक आयोग का गठन तो किया गया परन्तु अल्पसंख्यक आयोग में फंड की कमी रहती है जिसके कारण सरकारी योजनाओं को अबतक सुचारु रूप से लागू नहीं हो पाती । मुसलमानो की कुल आबादी का ८० प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों पर जब अत्याचार होता है तो मुकामी प्रशासन जब नहीं सुनता तो मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक आयोग का सहारा लेता है लेकिन यहाँ भी उसको न्याय नहीं मिलता है। आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य अधिकतर अपने कार्यालय से उनुपस्थित रहते हैं। सरकारें सैलरी तो भरपूर देतीं हैं लेकिन अधिकारी नदारद रहते हैं।कार्यवाही नहीं होती है और नाही अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष कार्यवाही करने में सक्षम नज़र आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अल्पसंख्यक आयोग सरकार के दबाव में है या फिर आयोग की निचला प्रशासन सुनता नहीं है जिस की वजह यह है कि आयोग निष्क्रिय हो गया है या फिर आयोग अधिकारीयों को तलब करने में मूक दर्शक बना हुआ है जिस से अल्पसंख्यकों (खासकर पसमांदा मुसलमानो ) को न्याय नहीं मिलता और ना ही अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम से पसमांदा मुसलमानो को किसी योजना का लाभ मिल पाता है। पूर्व की सरकारों ने अल्पसंख्यक आयोग का गठन तो कर दिया और योजनायें भी चलायीं लेकिन धरातल पर मुसलमानों के लिए कोई योजना लाभकारी नहीं बनी। धन्यवाद उत्तर प्रदेश सरकार कि जिसने इस पीड़ा को समझा और उसने अल्पसंख्यक अयोग का चेयरमैन पसमांदा मुस्लिम समाज से बनाया है हम अल्पसंख्यक आयोग के ज़िम्मेदारों से अपील करते हैं कि आयोग में आये सभी केसों का गंभीरता पूर्वक निस्तारण करें ताकि पीड़ितों को सही समय पर न्याय मिल सके।
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के मौके पर अनीस मंसूरी ने तीन प्रमुख मांगे रखी धारा ३४१ पैरा ३ के अंतर्गत जो मुस्लिम दलितों को आरक्षण मिलता था वह १०.०८.१९५८ पिछले ७२ सालों से उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा जो अभी वर्तमान सरकार ने अपना हलफनामा १३११ २०२२ में दाखिल किया है जो सरासर न्याय संगत नहीं है सरकार ने अपना जवाब न्यायालय में दाखिल किया है उसे सार्वजनिक करें। कई वर्षों से अल्पसंख्यकों को मिल रही स्कॉलर शिप जो केंद्रीय मंत्री माननीय स्मृति ईरानी जी ने बंद कर दिया है को तत्काल फिर से शुरू किया जाना चाहिए। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रति फिक्र मंदी दिखा रही है वहीं दूसरी तरफ धारा ३४१ के पैरा तीन को बहाल ना करना और न्यायालय में अल्पसंख्यकों के खिलाफ रहना। सरकार को पुनः अपना जवाब न्याय संगत तरीके से देना चाहिए वसीम राईनी, प्रदेश अध्यक्ष ने कहा अल्पसंख्यक शब्द अल्प और संख्यक जैसे दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है दूसरों की तुलना में संख्या में कम होना। अल्पसंख्यक होने के कई पहलू हो सकते हैं परन्तु मुख्यतः इसमें धार्मिक, भाषाई, जातीय पहलुओं को प्रमुखता से देखा जाता है। खुर्शीद आलम सलमानी मंडल अध्यक्ष लखनऊ ने कहा कि आजादी के ७५ साल बाद भी अल्पसंख्यक खास कर मुसलमानों में आर्थिक असमानता, सामाजिक असुरक्षा और अलगाव की भावना कम होने की जगह बढ़ी है, तो जिम्मेदारी तो बनती है। आजादी के ७५ वर्ष के बाद भी अल्पसंख्यक के नाम पर हुई तो केवल राजनीति। अल्पसंख्यक में मुसलमान उस समय भी राजनीति का एक मोहरा थे और आज भी हैं। मार्च २००५ में आजादी के ५८ साल के बाद देश में मुस्लिम समुदाय के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में इनके पिछड़ेपन का मूल्यांकन करने के लिए न्यायाधीश राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। इस अवसर पर ऐजाज़ अहमद राईनी, हाजी नसीम मंसूरी, खुर्शीद आलम सलमानी, सैफ अली इदरीसी, रियाज़ आलम मंसूरी,पप्पू कुरैशी, फ़ाज़िल अंसारी, परवेज़ मंसूरी, डॉक्टर मरगूब कुरैशी, मोहम्मद आरिश राईनी, मोहम्मद असलम एडवोकेट,अरशद मंसूरी, हाजी शब्बान मंसूरी, लतीफ़ मंसूरी,निहाल अंसारी, फैसल सिद्दीकी, वाजिद सलमानी के अतरिक्त भारी संख्या में लोग उपस्थित थे ।

ब्यूरो रिपोर्ट- ज्ञानचंद।

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