सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर केस में दुष्कर्म पीड़िता के चाचा पर चल रहे जानेलवा हमले के मुकदमे में पेशी के लिए दिल्ली पुलिस तिहाड़ जेल से लेकर आई। इस मुकदमे के विवेचक रहे सजायाफ्ता दरोगा को भी लाया गया। सुनवाई शुरू होते ही चाचा के वकील ने निजी सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने न्यायालय में प्रार्थनापत्र देकर अपना वकालतनामा वापस मांगा। इस कारण शुक्रवार को मुकदमे में बहस नहीं हो सकी। न्यायालय ने अगली तारीख 11 अक्तूबर तय की है।
दुष्कर्म पीड़िता के चाचा पर चल रहे जानलेवा हमले के मुकदमे में पेशी के लिए चाचा और इस मुकदमे के विवेचक रहे (पीड़िता के पिता की हत्या में सजायाफ्ता) दरोगा केपी सिंह को तिहाड़ जेल से लाकर अपर जिला जज कोर्ट संख्या 6 में पेश किया। कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों को 11 बजे पुलिस न्यायाधीश अलोक शर्मा के समक्ष पेश किया। गया। जिरह को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होते ही बचाव पक्ष के वकील कृपाशंकर सिंह, वादी के वकील राजेश त्रिपाठी और अभियोजन पक्ष से सहायक शासकीय अधिवक्ता यशवंत सिंह भी पहुंचे। कार्रवाई शुरू होते ही चाचा के वकील कृपाशंकर सिंह ने न्यायालय में प्रार्थनापत्र देकर अपना वकालतनामा वापस लेने की अनुमति मांगी। उन्होंने अपनी सुरक्षा को कारण बताया है। प्रार्थनापत्र में उन्होंने जिला प्रशासन पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता, उसके परिवार और वकील को मुफ्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था। पीड़िता के चाचा के खिलाफ विचाराधीन अभिलेखों में सफेदा (फ्लूड) लगाकर साक्ष्यों को छिपाने के मुकदमे में सहायक शासकीय अधिवक्ता ने बहस पूरी कराई। इसके बाद दिल्ली पुलिस दोनों को लेकर चली गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता यशवंत सिंह ने बताया कि वकालतनामा वापस लेने की स्थिति में आरोपी दूसरा वकील कर सकता है। अगर वह चाहे तो सरकार की तरफ से भी वकील दिया जा सकता है।