राहगीरों का दर्द बढ़ा रहे छुट्टा गोवंश
बलरामपुर।
31 मार्च तक छुट्टा गोवंशों को संरक्षित करने का दावा महज कागजी है। सड़कों पर घूम रहे छुट्टा गोवंश राहगीरों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वे कभी किसी व्यक्ति को दौड़ा लेते हैं तो कभी आपस में ही भिड़ जाते हैं। इससे यातायात व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। गांवों में किसानों की फसलों के लिए यह परेशानी का सबब बने हुए हैं। यह हाल तब है, जब पशुपालन विभाग 8902 छुट्टा गोवंश संरक्षित करने का दावा कर रहा है।
वीर विनय चौराहे पर तुलसीपुर को जाने वाले मार्ग की बैरिकेडिंग के पास तीन-चार छुट्टा गोवंश खड़े थे। तभी यहां से होकर एक राहगीर निकलने लगा तो सामने चाय की दुकान लगाए मनीष ने तेज आवाज में कहा कि अरे भाई, बचकर निकलो वरना मार देगा।
कई बार की शिकायत, कोई नहीं सुन रहा
सुबह 10 बजे, तुलसीपुर रोड पर बिजलीपुर मंदिर के पास मुख्य मार्ग पर छुट्टा गोवंश घूम रहे थे। स्थानीय नागरिक मनमोहन, राम शेखर व सुमित का कहना था कि कई बार छुट्टा गोवंशों को लेकर शिकायत की गई, लेकिन कोई नहीं सुन रहा है। आए दिन इनके कारण हादसे भी हो रहे हैं।
पेहरबाजार के समोखन का कहना था कि गेहूं की फसल छुट्टा गोवंशों ने बर्बाद कर दी है। अब सिर्फ उसे बटोरना है। कुछ बचा नहीं है। श्रीदत्तगंज के अब्दुल की भी यही पीड़ा थी। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। कैसे खेती को आगे बढ़ाएं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. समदर्शी सरोज का कहना है कि जिले में कुल 93 गो आश्रय स्थल सरकारी हैं। पांच निजी हैं। वर्तमान में सरकारी आश्रय स्थल पर 8902 गोवंश हैं, जबकि जिले को 9228 गोवंश संरक्षित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। निजी आश्रय स्थलों पर 500 गोवंश हैं। बताया कि छुट्टा गोवंश को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
