गांवों का होगा विकास
बलरामपुर।
बजट में आकांक्षी जिलों के विकास को लेकर उठाए गए कदमों से बलरामपुर में भी विकास को रफ्तार मिलेगी। जिले के सीमावर्ती इलाकों के 125 गांवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योजनाएं बनाई गईं हैं। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा व पोषण के साथ ही परिवहन सेवाओं में सुधार पर जोर दिया जा रहा है। इससे इन गांवों की तीन लाख की आबादी को सीधे योजनाओं का लाभ मिलेगा।
तराई में बसे बलरामपुर जिले में कुल नौ ब्लॉक व तीन तहसील हैं। जिले के पांच ब्लॉकों के 125 गांव नेेपाल से सटे हैं। हालांकि नीति आयोग ने बलरामपुर को आकांक्षी जिले के तौर पर चयनित किया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिले को नीति आयोग ने पांच सेक्टर में बांटा था। जिसके आधार पर कई कार्य कराए गए। नतीजा यह रहा कि बेहतर काम करने पर जिले को अभी हाल ही में तीन करोड़ रुपये की सौगात मिली है।
थारु जनजाति बाहुल्य गांव नेवलगढ़, बेतहनिया, कन्हईडीह, सोनगढ़ा, मुतेहरा, रजडेरवा, बनकटवा, विशुनपुर विश्राम, भगवानपुर कोडर, भुसहर ऊंचवा, भुसहर पुरई, भुसहर फोंगई, चंदनपुर, कोहरगड्डी कोडर, इमिलिया कोडर, मड़नी समेत नेपाल सीमा से सटे 125 गांवों के विकास की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इन गांवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा व परिवहन के साथ ही मुर्गीपालन व पशुपालन आदि स्वरोजगार को बढ़ावा देने का प्लान बनाया गया है।
सीडीओ संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि नेपाल सीमा से सटे गांवों के विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कराया जाएगा।
