-कुख्यात अपराधी के नाम से जाना जाता था ख़ान मुबारक
पैतृक निवास हरसंम्हार के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक
अयोध्या जेल में बंद खान मुबारक ने जब जेल से अपना वीडियो वायरल कराया था तो एक तो खलबली मच गई थी फिल्मी डायलॉग अंदाज में उसने कहा था-
“खान मुबारक को खत्म करने से खान मुबारक का वजूद खत्म नहीं होगा। खान मुबारक एक खत्म न होने वाली ऑर्गेनाइजेशन का नाम है। जिस दिन खान मुबारक पर हमला हुआ। उस दिन खाकी और खादी कोई बख्शा नहीं जाएगा,,
हालांकि 42 साल के खान मुबारक की सोमवार को शाम 4 बजे निमोनिया (सेप्टीसीमिया) से मौत हो गई। वह हरदोई की जेल में बंद था। बीमारी से मौत की खबर के बाद गैंगस्टर फिर सुर्खियों में आ गया। जरायम की दुनिया में अपने नाम का सिक्का चलाने वाले ख़ान मुबारक की इस तरह मौत की चर्चा पूरे क्षेत्र में होती रही। जरायम की दुनिया का खान मुबारक यूपी के शातिर गैंगस्टर्स की टॉप-10 लिस्ट में शामिल था।
खान मुबारक के असल जिंदगी की चर्चा शुरू करें तो इसके पिता रजी आलम चकबंदी विभाग में लेखपाल थे। उन्होंने खान मुबारक को स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रयागराज भेजा, लेकिन उसका रुझान अपराध की तरफ था। एक क्रिकेट मैच के दौरान अंपायर को गोली मार दी। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसमें साथ दिया उसके बड़े भाई जफर सुपारी ने, जिसने 15 साल की उम्र में ही हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था।बाद में मुंबई में काला घोड़ा कांड को अंजाम दिया। इसमें पुलिस वैन में दो कैदियों की ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दोनों भाइयों ने छोटा राजन के साथ मिलकर अंडरवर्ल्ड में कदम रख दिया है। खान मुबारक ने अपना गैंग बना लिया। उसे यूपी पुलिस रिकॉर्ड में डी-27 गैंग कहा जाता है। एसटीएफ ने 27 जुलाई 2017 को खान मुबारक (40) को लखनऊ में मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया। इसके बाद वह सलाखों के बाहर नहीं आ सका।
सबसे बड़ी बात यह है कि उसके खिलाफ 33 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं, लेकिन आज तक उसको किसी मामले में सजा नहीं हुई है। खान मुबारक ने प्रयागराज को अपना ठिकाना बनाया। जहां मुन्ना बजरंगी से उसका सामना हुआ। इसके बाद दोनों में दुश्मनी हुई और गैंगवार शुरू हो गई। बाद में वह मुंबई चला गया। जहां अपने भाई जफर सुपारी की मदद से छोटा राजन गैंग में शामिल हुआ।मुंबई में साल 2006 में काला घोड़ा हत्याकांड के बाद खान मुबारक का नाम सुर्खियों में आ गया। इसका खुलासा तब हुआ जब 2007 में प्रयागराज में हुई एक कैश वैन लूटकांड में एसटीएफ ने खान मुबारक को गिरफ्तार किया।जिसमें पूछताछ में उसने बताया कि काला घोड़ा हत्याकांड उसने ही साथियों के साथ अंजाम दिया। उसके बाद 5 साल तक नैनी जेल में बंद रहा। यह सिलसिला आगे बढ़ता रहा और 2012 से प्रयागराज की जगह अंबेडकरनगर में रंगदारी और जबरन वसूली का काम उसने शुरू कर दिया।साल 2012 में महराजगंज के चर्चित ट्रांसपोर्टर कारोबारी की हत्या की थी। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ। इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में जुट गई। उसकी गिरफ्तारी हुई, लेकिन सबूतों के आभाव में छूट गया। 2017 में खान मुबारक ने बसपा नेता जुरगाम मेहंदी पर जानलेवा हमला कराया। 6 गोलियां लगने के बावजूद वो बच गए थे। इसके बाद 2018 में बसपा नेता जुरगाम मेहंदी पर दोबारा हमला कराया। इसमें उनकी मौत हो गई थी।साल 2018 में सुल्तानपुर के जिला कारागार में खान मुबारक बंद था, जहां पर उसने अपनी हत्या किए जाने की आशंका जताई थी। खान मुबारक की पत्नी ने भी उसकी हत्या की आशंका जताई थी। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ से खान मुबारक की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराए जाने पर उसको दूसरे स्टेट में शिफ्ट किए जाने की मांग की थी।
खान की 19.56 करोड़ की संपत्ति जब्त,खान मुबारक गिरोह के 16 सक्रिय सदस्यों की हिस्ट्रीशीट यूपी पुलिस ने खोली है। इसके साथ ही खान मुबारक गिरोह की 19.56 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को चिह्नित किया गया। इसके बाद 16.31 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत जब्त की गई थी। वहीं अन्य को ध्वस्त कर दिया गया। इसी साल अप्रैल में लखनऊ के हुसैनगंज मोहल्ले में स्थित 65 लाख रुपए कीमत के फ्लैट को लखनऊ पुलिस ने कुर्क किया था।
हरसम्हार गांव में खान मुबारक का पैतृक घर खंडहर में तब्दील हो चुका है। वहीं गांव में पुलिस की चहलकदमी भी तेज हो गई है। खान की मौत की खबर के बाद यहां पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई।
*भाई का हाथ पकड़ बन गया अपराधी*
खान मुबारक के के पिता रजी आलम अपनी पत्नी, दो बेटे और दो बेटियों समेत कुल 6 लोगों के परिवार के साथ यहां रहते थे। बड़ा बेटा खान जफर जब 15 साल का था, तभी उसने एक हत्या कर दी। इस मर्डर से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और फिर कभी घर नहीं लौटा।इसके बाद पिता रजी आलम को छोटे बेटे की चिंता सताने लगी। उन्होंने जफर और अपराध की दुनिया से दूर रखने के लिए खान मुबारक को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भेज दिया था। लेकिन, खान मुबारक वहां अपराध की दुनिया की तरफ मुड़ गया।लोग बोले- दोनों भाई बचपन से ही सनकी किस्म के थे,यहां कुछ लोग ऑफ कैमरा कहते हैं कि दोनों भाई बचपन से ही सनकी किस्म के थे। बड़ा भाई मुंबई चला गया। इसके बाद छोटा भाई कॉलेज लाइफ से अपराधी बन गया। खान मुबारक का बड़ा भाई जफर सुपारी मुंबई में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
*जून 2022 में हरदोई जेल में किया गया था शिफ्ट*
योगी सरकार आने के बाद खान मुबारक पर शिकंजा कसा गया। फिर उसको गिरफ्तार करने के बाद हरदोई की जेल में शिफ्ट किया गया था। बताया जा रहा है कि जब से खान मुबारक हरदोई शिफ्ट किया गया था, तब से ही वो बीमार चल रहा था। डिप्टी सीएमओ डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया कि निमोनिया की समस्या से वो काफी समय से परेशान था। निमोनिया के चलते उसकी मौत हो गई।
उसका शव प्रशासनिक सुरक्षा के बीच उसके पैतृक निवास हरसंम्हार पहुंचा तत्पश्चात गांव में स्थित उसरहा कब्रिस्तान में माफिया के शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया इस दौरान सीओ टांडा संजय नाथ तिवारी, तहसीलदार टांडा आलोक रंजन, प्रभारी निरीक्षक बसखारी थाना जेपी सिंह यादव, आलापुर पंडित त्रिपाठी, हसवर प्रमोद सिंह, प्लाटून पीएसी व भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे।
