उत्तर प्रदेश

योगी बाबा से न्याय की गुहार लगाता भ्रष्टाचार की सूली पर लटका सहकारिता विभाग

सहकारिता मंत्री का दुलारा संजीव राय देता है भ्रष्टाचारियों को संरक्षण!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ शासन प्रशासन में बैठे उच्च अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर कृपा दृष्टि बनाई जा रही है। सहकारिता मंत्री जे.पी.एस. राठौर के दुलारे संयुक्त आयुक्त एवं संयुक्त निबन्धक, सहकारिता, मेरठ मण्डल, मेरठ के पद पर बैठे संजीव कुमार राय स्वयं को सहकारिता का भगवान बताते है एवं भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संरक्षण देते हुये उन्हें जीवन दान देने की बात करते पूरे सहकारिता विभाग को भ्रष्टाचार और लूट का अडडा बना दिया है।

सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर राज्य भंडारण निगम के संचालक मंडल के अध्यक्ष (Chairman of State Warehousing Corporation) बनने के उपरांत निगम की क्षमता की उपयोगिता बढ़ाने के लिए प्राइवेट संस्थाओं से सम्पर्क कर भंडारण प्राप्त करने व भारतीय खाद्य निगम द्वारा निगम के भंडारण शुल्क विपत्रों से की जा रही कटौती की धनराशि को वापस प्राप्त किए जाने के निर्देश दिए थे एवं खाद्यान्न के भंडारण के शार्टेज एवं गबन के सम्बन्ध में कड़ा रूख अपनाते हुए दोषी, उत्तरदायी कर्मचारियों, अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए थे परन्तु बुरा न देखो, बुरा न सुनो और बुरा न करो के गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाते हुये अपने दुलारे और प्यारे बन्दरों की चापलूसी के बीच घिरे नजर आ रहे हैं।

सहकारिता मंत्री के कार्यकाल में नेरी कलां में लगभग 6 करोड़ और पिहानी गोदाम में लगभग 1.5 करोड़ की धनराशि के राजस्व का बड़ा नुकसान सरकार को हुआ है जिसकी भरपाई नही हो सकती। हरदोई के पिहानी गोदाम में 2550 बोरे के खाद्यान्न घोटाला सामने आया है वहीं अलीगढ़, उरई, रामकोट आदि के गोदामों में घोटाले की खबरे दिख रही है। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ हैै कि विभागीय स्थानांनतरण नीतियों के तहत भंडारण निगम में करीब 175 कर्मियों की सूची बनी थी, लेकिन मात्र 42 लोगों के स्थानांनतरण करने के उपरंत हुए शेष को सहकारिता मंत्री के कहने से रोका रखा है जबकि अधिकतर डिपो पर वर्षों से कर्मचारियों/मैनेजर के ट्रांसफर न किया जाना मुख्यमंत्री के आदेशों का ख्ुाला उल्लंघन है।

सहकारिता मंत्री के दुलारे संजीव राय द्वारा कूटरचित दस्तावेज एवं जाली डिग्री, के आधार पर कार्यरत निगम कार्मिक सुभाष चन्द्र पाण्डेय, उप प्रबन्धक/ मुख्य अधीक्षक की जांच कार्यवाही विगत दो साल से अधिक लंबित करके न सिर्फ विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि अपने ही उच्च अधिकारियों के आदेशों को नही माना जा रहा है। सुभाष चंद्र पांडे के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र को निगम के अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर सत्यापित करने का जो अपराध कारित किया गया है उसकी संवेदनशील जांच हेतु श्री संजीव कुमार राय, महाप्रबंधक को दिनांक 11.05.2022 कोे जांच अधिकरी नियुक्त करते हुये सम्पूर्ण प्रकरण की जांच आख्या एक पक्ष के अन्दर उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया था परन्तु सहकारिता मंत्री के दुलारे के रुप में विख्यात संजीव राय पर कार्यालय आदेशों का कोई असर नही दिखता। प्रबंध निदेशक, कार्यालय उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम द्वारा जांच अधिकारी संजीव राय को जांच पूर्ण करने हेतु प्रेषित पत्र संख्या 3344 दिनांक 07.06.2022, पत्र संख्या 4815 दिनांक 29.06.2022, पत्र संख्या 5281 दिनांक 14.07.2022, पत्र संख्या 5888 दिनांक 27.07.2022, पत्र संख्या 6706 दिनांक 16.08.2022, पत्र संख्या 7256 दिनांक 29.08.2022, पत्र संख्या 8454 दिनांक 22.09.2022, पत्र संख्या 8991 दिनांक 06.10.2022, पत्र संख्या 9422 दिनांक 17.10.2022, पत्र संख्या 15812 दिनांक 17.03.2023, पत्र संख्या 674 दिनांक 17.04.2023, पत्र संख्या 4236 दिनांक 30.08.2023, पत्र संख्या 5437 दिनांक 24.07.2023 द्वारा शीघ्र जांच कार्यवाही पूर्णकर जांच आख्या उपलब्ध कराने हेतु आदेशित किया गया परन्तु जंाच अधिकारी संजीव राय द्वारा जांच को लंबित कर फर्जी मार्कशीट पर कार्यरत सुभाष पाण्डे को अनुचित लाभ दिया जा रहा है तो वहीं प्रबंध निदेशक द्वारा प्रेषित लगभग 15 पत्रों का संज्ञान न लिया जाना प्रबंध निदेशक के आदेशों का खुला उल्लंघन भी है। उक्त पत्रों पर संजीव राय का लचर रवैया देखकर आर.बी. गुप्ता, प्रबंध निदेशक द्वारा पत्र संख्या 10976 दिनांक 10.11.2023 के माध्यम से पुनः संजीव राय को शीघ्र जांच कार्यवाही पूर्णकर जांच आख्या उपलब्ध कराने हेतु निर्गत आदेश भी संजीव राय पर कोई खास असर नही दिखाता और जांच आख्या न उपलब्ध कराकर अहंकार में डूबे संजीव राय द्वारा शासन प्रशासन के उच्च अधिकरियों द्वारा भेजे गये पत्रों पर भी कोई कार्यवाही न करके फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर कार्यरत कर्मचारियों को संरक्षण देने का कार्य किया जा रहा है। माननीय सर्वाेच्च न्यायालय की तीन जजों की बेंच ने भारतीय खाद्य निगम के मामले में सूनवाई करते हुये स्पष्ट किया है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति शुरू से ही अमान्य है और ऐसे उम्मीदवारों की धोखेबाज गतिविधियों को किसी सरकारी ज्ञापन, जांच, सर्कुलर आदि के माध्यम से अनिश्चित काल तक सुरक्षा कवच देकर मौजूदा वैधानिक जनादेश को दरकिनार नही किया जा सकता परन्तु जांच अधिकारी संजीव राय द्वारा जांच को दो वर्ष से अधिक लंबित करके न सिर्फ भ्रष्ट अधिकारी सुभाष चन्द्र पाण्डेय को अनुचित लाभ दिया जा रहा है बल्कि सहकारिता विभाग में स्वयं को अघोषित भगवान का दर्जा दिया जा रहा है। सहकारिता विभाग मे कार्यरत अनेक कर्मचरियो का मत है कि जितना भी भ्रष्टाचार करो बस संजीव बाबा की कृपा बनी रहें तो फिर योगी बाबा का बुलडोजर भी कुछ नही कर सकता।

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