एमआरएफ प्लांट की सुस्त रफ्तार
बलरामपुर: अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण के लिए नगर पालिका परिषद की कवायद काफी सुस्त है। मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) प्लांट दो साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। 33 लाख रुपये की लागत से बन रहे प्लांट में सूखा कूड़ा एकत्र कर रिसाइकिलिंग किए जाने की योजना दो साल बाद भी अधूरी है। नपाप की सुस्ती से कूड़ा निस्तारण का ठोस प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। साथ ही राजस्व बढ़ाने की ठोस योजना भी नहीं दिख रही है। -नगर के 25 वार्डों में करीब डेढ़ लाख लोग आबाद हैं। घरों व दुकानों का कूड़ा एकत्र करने के लिए गली-मुहल्लों एवं सड़कों पर जगह-जगह कूड़ेदान लगवाए गए हैं। गीले व सूखे कूड़े के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखे हैं। कूड़ेदान से कूड़ा एकत्र करने के बाद नगर पालिका कर्मी उसे निश्चित स्थान पर सड़क किनारे फेंक देते हैं। पीपल तिराहा के निकट, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड कार्यालय के सामने, मेवालाल तालाब के निकट, भगवतीगंज में स्टेट बैंक के पास, जिला महिला अस्पताल के सामने समेत कई स्थानों पर कूड़ा एकत्र किया जाता है। अब तक शहर में कूड़ा प्रबंधन की ठोस व्यवस्था न होने से शहर की गंदगी दूर नहीं हो पा रही है। दो साल बाद भी नहीं लगी मशीन : राष्ट्रीय राजमार्ग तुलसीपुर स्थित चुंगी नाका के पास नपाप की जमीन पर 33 लाख रुपये की लागत से एमआरएफ प्लांट तैयार किया जा रहा है। यहां चहारदीवारी खड़ी करने के बाद कार्य बंद है। अब तक प्लांट में मशीनें नहीं लग सकी हैं। इस प्लांट में गीले कूड़े से कंपोस्ट खाद बनाकर किसानों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने की योजना थी। साथ ही प्लास्टिक, लोहा, कागज की रीसाइकिलिंग कराई जानी थी। दिसंबर 2020 में ही प्लांट शुरू कराने का लक्ष्य था, लेकिन मशीनों के अभाव में योजना ठंडे बस्ते में है। जल्द होगी निविदा : अधिशासी अधिकारी डा. देवेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि प्लांट तैयार है। मशीन लगवाने के लिए जल्द ही निविदा कराई जाएगी।