शादी की उम्र 21 साल होने से खुश हैं बेटियां, कहा पढ़ेंगे और अपने सपने पूरे करेंगे
पीलीभीत।
केंद्र सरकार की ओर से शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले पर लड़कियों ने खुशी जाहिर की है। उनका मानना है कि पढ़ाई के दौरान शादी के बंधन में बंध जाने से उच्च शिक्षा या नौकरी का सपना घर की दहलीज में सिमटकर रह जाता है।
सभी ने फैसले का स्वागत किया। छात्राओं के बीच जब इसपर चर्चा शुरू हुई तो अधिकतर का यही मानना है कि बंदिशें ख्वाब पूरा नहीं होने देती। बीए फाइनल की छात्रा संगीता मौर्या ने कहा कि लड़की सोलह साल की हुई नहीं कि घरवाले शादी का दबाव बनाने लगते हैं। इससे उच्च शिक्षा और नौकरी का सपना छोड़ना पड़ता है। बीए प्रथम की छात्रा कशिश ने भी संगीता की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि एक उम्र के बाद ही सही गलत का फैसला लेने की क्षमता विकसित हो पाती है। कम उम्र में शादी और बच्चा, परिवार की जिम्मेदारी में लड़की उलझकर रह जाती है। एमए प्रथम की छात्रा काजल ने कहा कि लड़कियों को अपनी शादी का फैसले लेने हक होना चाहिए। अगर कोई लड़की मास्टर डिग्री लेने के बाद रिसर्च वर्क में जाना चाहती है तो मां-बाप को भी उनकी बात सुननी चाहिए। सामाजिक दबाव में लड़की की शादी कर दो, ये तो ठीक नहीं। बीए द्वितीय की छात्रा चंचल वर्मा ने कहा कि गरीब लड़कियों के घरवाले बोझ समझकर जल्दी से शादी करने को तैयार हो जाते हैं। एक बार भी बेटी से पूछा नहीं जाता कि उसके मन में क्या है। लड़की पढ़ना चाहती है, नौकरी करना चाहती है। शादी तो उसके बाद भी हो सकती है। बुशरा, कोमल रस्तोगी समेत तमाम छात्राएं उम्र बढ़ाने के फैसले का स्वागत कर रही हैं। उनका मानना है 21 साल में मातृत्व का दायित्व अच्छे से निभाया जा सकता है।
शादी होते ही बीच में छोड़नी पड़ जाती है पढ़ाई
उपाधि कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर डॉ. राखी मिश्रा का कहना है कि कई बार ऐसा देखने को मिला कि शादी होने के बाद लड़की पढ़ाई रुकवा दी गई। कई लड़कियां स्नातक तक की पढ़ाई भी पूरा नहीं कर पाईं। शादी की उम्र 21 साल होने से कम से कम लड़कियां अपनी पढ़ाई तो पूरी कर सकेंगी।