अल्ट्रासाउंड कराने में खाली हो गई जेब अन्य जांचें भी रहीं लेटलतीफी का शिकार
बलरामपुर।
मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए बुधवार को 20 अस्पतालों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया गया। इसमें आशा को अपने क्षेत्र की अतिकुपोषित गर्भवती को अस्पताल लाना था। इन्हें यहां चिकित्सीय परामर्श के साथ अल्ट्रासाउंड समेत सभी जांचें निश्शुल्क दी जानी थी। यही नहीं इन्हें दवाएं, पोषाहार के साथ नाश्ता व दोपहर तक रुकने के बाद भोजन भी मिलना था। अस्पतालों में सुविधाएं मिल रही हैं कि नहीं इसे परखने के लिए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी स्तर के 19 नोडल लगाए गए थे, लेकिन जिला महिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गर्भवती दर-दर भटकती रहीं। हकीकत परखने के लिए लगे जिम्मेदार व्यवस्था को आल इज वेल दर्शाते रहे।
अल्ट्रासाउंड कक्ष खुला था, लेकिन डाक्टर साहब गायब थे। मरीजों को थोड़ी देर बाद आने को कहकर टरकाया जा रहा था। अपनी गर्भवती बहू को लेकर आई गदुरहवा मुहल्ला की नगमा खातून का कहना था कि आशा बताकर लाई थीं कि अल्ट्रासाउंड फ्री में हो जाएगा। यहां निजी जांच केंद्र पर छह सौ रुपये जमा करने पड़े। पहलवारा की साधना ने बताया कि कई घंटे जूझने के बाद अन्य जांचें हो गई, लेकिन अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया। रेहाना समेत अन्य मरीजों ने बताया कि तीन घंटे तक वह डाक्टर का इंतजार करतीं रही, लेकिन वह नहीं आए। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एके सिघल का कहना है कि वह एक घंटे तक थे, तब तक कोई दिक्कत नहीं थी। बाद में क्या हुआ जानकारी नहीं है। चिताजनक : 44 में 14 अतिकुपोषित
लापरवाही का आलम तब रहा जब महिला अस्पताल में आई 44 गर्भवती में 14 अतिकुपोषित पाई गईं। इन्हें भी अल्ट्रासाउंड के लिए जेब खंगाल देनी पड़ी। पचपेड़वा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चार अति कुपोषित व श्रीदत्तगंज में तीन गर्भवती अतिकुपोषित मिलीं। सीएमएस डा. विनीता राय का कहना है कि अल्ट्रासाउंड वाले चिकित्सक एक घंटे के लिए कहीं चले गए थे। इस दौरान मरीजों को परेशानी हुई। आइंदा से इसका ख्याल रखा जाएगा।
