इरम पब्लिक कालेज में डांडिया नाईट में बच्चों टीचरों और गार्जन ने रक्स मौसीकी के जौहर बिखेरे।
डांडिया नाईट में आए हुए लोगों ने भरपूर लुत्फ़ उठाया। कालेज के मैनेजमेंट ने इनाम व इकराम से नवाज़ा।
डाक्टर तारिक़ हुसैन
लखनऊ 5 अक्टूबर जब भी त्योहारों का मौसम आता है खासकर दसहरा और दीवाली के मौके पर तो शहर में रौशनी की चकाचौंध हो जाती है और बाजारों में रौनक आ जाती है। जगह जगह पर डांडिया रक्स के स्टेज सज जाते हैं। स्कूल और कालेजों में मुख्तलिफ तरह के प्रोग्राम और खेल कूद के साथ साथ रक्स व मौसीकी के जौहर बिखेरे जाते हैं। जिसमें एक डांडिया का रक़्स ( नृत्य) भी शामिल है। इस सिलसिले में इरम पब्लिक कालेज ने भी बड़े पैमाने पर डांडिया रक्स का एहतिमाम किया।
इरम पब्लिक कालेज के ग्राउंड वाक़े सी ब्लॉक इन्दिरा नगर में कालेज के बच्चों ने, टीचरों और गार्जन ने भी डांडिया रक्स में अपने टैलेंट के जौहर बिखेरे। प्रोग्राम में इरम गुरुप आफ कालेजेज़ के मैनेजमेंट ने इसमें भरपूर तआवुन किया। कालेज के ग्राउंड में खाने पीने के स्टाल भी लगाए गए, जिससे प्रोग्राम में आए सभी लोगों ने बहुत लुत्फ़ लिया।
याद रहे कि डांडिया रास नृत्य देवी दुर्गा के एजाज़ में किया जाता है जो भक्ति गरबा नृत्य, के शक्ल में जन्म लिया है। इस नृत्य को वाकई में देवी दुर्गा और महिषासुर, पराक्रमी राक्षस राजा के बीच एक नकली लड़ाई का मंचन है। इस नृत्य भी तलवार नृत्य ‘ उपनाम दिया गया है। नृत्य की छड़ें देवी दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन नृत्यों की उत्पत्ति से भगवान कृष्ण के जीवन का पता लगाया जा सकता है। यह रक्स न सिर्फ गुजरात में बल्कि सभी रियासतों में इसका एहतिमाम किया जाता है। लेकिन यह नृत्य गुजरात की ही देन है, यही वजह है कि यह नवरात्रि का एक बेहद अहेम हिस्सा माना जाता है। यह नृत्य सिर्फ त्योहारों पर ही नही बल्कि शादी और दीगर तकारीब के अलावा सामाजी कामों में मंच पर किया जाता है।
इरम पब्लिक कालेज में बच्चों टीचरों और उनके गार्जन ने इसको अपने तौर पर मनाया और रक्स व मौसी के जौहर बिखेरे, इसके अलावा अपनी आवाज का जादू जगाया।
इस मौके पर कालेज के मैनेजमेंट ने सभी बच्चों टीचरों और उनके गार्जन का हौसला बढ़ाया। खासकर कालेज के मैनेजर डाक्टर बज़मी यूनुस, डायरेक्टर ख्वाजा फैजी, सेक्रेटरी ख्वाजा सैफी यूनुस ने उनके रक्स और मौसीकी की कद्र की। उन्होंने प्रोग्राम में आए हुए सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया और एजाज़ व इकराम से नवाजा।
रास जटिल कदम और संगीत के साथ बहुत जटिल हो सकता है का मंचन किया। रास एक लोक कला है