दस साल का कारावास
बलरामपुर।
अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम अभिन्तम उपाध्याय ने दहेज हत्या के मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाया है। दोषी पति को दस साल की सजा के साथ 30 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी नवीन कुमार तिवारी ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2009 में रामरतन की तहरीर पर ललिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। रामरतन ने आरोप लगाया था कि उसने अपनी पुत्री मनचिंता की शादी महराजगंज थाना क्षेत्र के शिवनगर गांव निवासी बीपत से वर्ष 2005 में की थी। तीन साल बाद लड़की गौने में विदा होकर ससुराल गई।
आरोप लगाया कि ससुराल में पति, सास-ससुर, जेठ-जेठानी ने दहेज में 50 हजार रुपये व बाइक की मांग को लेकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। 17 जून 2009 में मनचिंता की हत्या कर दी गई। पुलिस ने मुकदमा लिखकर विवेचना शुरू किया और पति बीपत को दोषी मानते हुए आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
सत्र परीक्षण के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने आठ गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत किया। पति बीपत के खिलाफ दहेज हत्या व दहेज उत्पीड़न का आरोप तय करते हुए न्यायालय ने विचारण किया। अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम अभिन्तम उपाध्याय ने बीपत को दहेज हत्या व दहेज उत्पीड़न का दोषी मानते हुए दस वर्ष के कारावास व 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर दोषी को 16 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
