बलरामपुर

लकड़ी पुल के सहारे टिकी यातायात व्यवस्था

बलरामपुर।

गुलरिहिवा घाट से रेहरा बाजार व सादुल्लाह नगर मार्ग पर पहुंचने के लिए आज भी लकड़ी का पुल पार करना पड़ता है। चार पहिया वाहन लकड़ी पुल के रास्त से नहीं गुजरती।

चुनाव आते ही पुल निर्माण का दावा करने वाले राजनीतिक दल जीत होते ही वादा भूल जाते हैं। पक्का पुल न होने से क्षेत्रवासी परेशान हैं।

रेहरा बाजार ब्लाक का इटई अब्दुल्ला, एलेरा, भरतपुर के आगे बढ़ते ही कुआना नदी बहती है। जिसपर लकड़ी का पुल बना है। पुल का निर्माण वन विभाग ने कराया है।

करीब 120 साल से इस पुल के रास्ते लोगों को नदी पार करना पड़ रहा है। इटई अब्दुल्ला से 250 मीटर आगे बढ़ते ही पक्की सड़क शुरू हो जाती है। एलेरा, भरतपुर, यमुना, हुसेनाबाद, देवरिया सहित दर्जनों गांव के लोग सादुल्लाह नगर के दैनिक उपयोग की वस्तुएं खरीदतें हैं।

नदी पार करने पर आवादी की दूरी लगभग आठ किलोमीटर की होती है। बाजार स्थित सीएचसी पर ही क्षेत्रवासी इलाज कराते हैं। इसके अतिरिक्त थाना व बैंक भी बाजार में है। इस रास्ते रेहरा बाजार पहुंचना भी आसान है।

रुदौरी, इटईपुर, नथईपुर, लौकिया ताहिर, अचलपुर चौधरी, विशंभरपुर आदि गांव के लोग प्रतिदिन मजबूरीवश पुल पार करते हैं। पुल के रास्ते गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है। मरीजों को चारपाई पर लादकर पुल पार करना पड़ता है।

वन विभाग पुल पार करने पर पैदल यात्रियों से साकिल व बाइक सवार से दस रुपए वसूलता है। पुल की हर साल नीलामी की जाती है। सबसे बुरा हाल गन्ना किसानों का है। उन्हें 15 किलोमीटर अतिरिक्त दूर तय कर गन्ना क्रय केन्द्र पहुंचना पड़ता है।

क्षेत्र में सब्जी का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। कुछ लोग सब्जी बोरे में भरकर बाइक से बाजार पहुंचते हैं। वर्षाकाल में चार माह तक पुल के रास्ते आवागमन बंद रहता है। लोग 25 किलोमीटर दूरी तय करके बाजार पहुंचते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।
ब्यूरो रिपोर्ट- टी.पी. पाण्डेय।

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