अवधी शोध पीठ में शुरू होगा अवधी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति पर विशेष अध्ययन एवं शोध।
लखनऊ में अवधी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर शोध की सुविधा उपलब्ध होगी।लखनऊ के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो.अजय तनेजा के आदेश पर विश्वविद्यालय की अवधी शोध पीठ में शोध प्रारंभ किया जाएगा। चार सदस्यीय अवधी शोधपीठ के समन्वयक विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. नीरज शुक्ला तथा सह – समन्वय डॉ योगेंद्र सिंह बनाए गए हैं। साथ ही विश्वविद्यालय के डॉ. हिमांशु गंगवार एवं डॉ आराधना अस्थाना को इसका सदस्य नामित किया गया है। यह पीठ अवधी क्षेत्र के लोक साहित्य, भाषा, संगीत कला, चित्रकला, वेशभूषा, खान-पान जैसे अनेक पक्षों पर शोध करवायेगी ।साथ ही साथ अवध के वे कलाकार जिन्हें अब तक मंच नहीं मिल पाया है ,उनकी प्रतिभाओं को खोज कर दुनिया के सामने लाएगी। इस संबंध में हाल ही में एक परामर्शदात्री मंडल का गठन किया गया है।इसके सदस्य साहित्य एवं संस्कृति के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त विद्वान एवं विशेषज्ञ है। हिंदी साहित्य के वरिष्ठ आलोचक एवं विद्वान प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अवधी साहित्यकार डॉ.राम बहादुर मिश्र,राष्ट्रीय कवि एवं सुप्रसिद्ध व्यंगकार डॉ.सर्वेश अस्थाना, वरिष्ठ आलोचक एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.पवन अग्रवाल तथा अवधी विकास संस्थान के संस्थापक श्री विनोद मिश्र इसके सदस्य बनाए गए है। अवध क्षेत्र की लोक संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए शोध एवं विशिष्ट अध्ययन आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अवधी शोध पीठ में शोध एवं विशिष्ट अध्ययन प्रारंभ किए जाने से इस जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।




