आईना द्वारा एलआईयू की बंदिशों से कलमकारों को आज़ाद कराने का संकल्प: डॉ. मोहम्मद कामरान
लखनऊ। आजादी के 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर भी हम कितने आजाद हुए हैं इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलमकारों की कलम को तोड़ने के लिए नए नए फार्मूले, नए-नए तंत्र विकसित किए जा रहे हैं और स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) की कलम एक ऐसा तंत्र है, एक ऐसा हथियार है, जो भारत के कलमकारों को तोड़ने के लिए बेहद कारगर है। बड़े बड़े आतंकी घटनाओं, दंगो में फेल होता ये LIU तंत्र कलमकारों की रिपोर्ट देने में ऐसी कौन-सी विधा अपनाता है, जो मात्र चंद घंटों में ऐसी रिपोर्ट बना देता है कि कलमकारों की कलम पर ही सवालिया निशान लग जाता है।
नियमों के अनुरूप मिलने वाली आवास, मान्यता, सचिवालय प्रवेश पत्र या अन्य सुविधाओं पर रोक लग जाती है। LIU विभाग मनचाही, मनमाफिक रिपोर्ट लगाकर देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले कलमकारों को उनकी योग्यताओं को अनदेखा करते हुए दरकिनार कर देता है । सूचना एवं जनसंपर्क विभाग पत्रकारों को समाचार पत्रों को मान्यता देने का काम करता है और एल आई यू की एक रिपोर्ट के आधार पर पत्रकारों और समाचार पत्रों की फाइलों को रिपोर्ट अनुकूल नहीं है कह कर किनारे रख देता है। यह कलमकार के अस्तित्व को मिटाने की साजिश हो रही है। कलम ख़ामोश है। आवास, मान्यता, सचिवालय प्रवेश पत्र पर लगाम लगा दी जाती है। ऐसे में पत्रकारों की एकजुटता ना होना भी एक सवालिया निशान है।
स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) द्वारा समाचार पत्र के शीर्षक, प्रकाशन, सूचीबद्धता और पत्रकारों के आवास, मान्यता, सचिवालय पास आदि के संबंध में नैतिक, आपराधिक गतिविधियों की रिपोर्ट देने का कार्य किया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान में एलआईयू द्वारा समाचार पत्र में सरकारों द्वारा किये जा रहे कार्यों को प्रमुखता से छापने एवं पत्रकारों द्वारा विज्ञापन आदि कामों पर भी रिपोर्ट प्रेषित की जा रही है। अगर देखा जाए तो इस विषय का स्थानीय अभिसूचना इकाई विभाग में ना तो कोई जानकार है और ना ही कोई प्रिशिक्षण दिया जाता है।
समाचार प्रतिनिधि द्वारा विज्ञापन का कार्य किया जा रहा है या नहीं इस पर भी रिपोर्ट देनी होती है। जो किसी भी जांच एजेंसी के लिए बेहद असंभव कार्य है। लेकिन इस असंभव से कार्य को LIU तंत्र के होनहार, बुद्धिमान और खुफिया नजर रखने वाले अधिकारी पलक झपकते सिर्फ नाम और मिलने वाली सलामी को देखकर ही बिना किसी तथ्यों, बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्यों के अपनी कलम से दो अक्षर लिख कर कलमकारों की कलम पर पत्रकारिता की मोहर लगा देते हैं और सलामी न मिलने पर इसी कलम को तोड़ देते हैं ।
विज्ञापन कार्य में संलिप्तता का सर्टिफिकेट देकर पत्रकारिता के सफ़र पर पूर्ण विराम लगा देते हैं। ऐसे में तथ्य हीन, बल हीन, रिपोर्ट लगाकर LIU सिर्फ अपनी कलम से कलमकारों के हौसले तोड़ने का काम कर रही है। जिससे कलमकारों को निजात दिलाया जाना अति आवश्यक है और इस स्वतंत्रता की पहल का संकल्प ऑल इंडिया न्यूज़पेपर एसोसिएशन (आईना) द्वारा किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ भी जुगाड़ तंत्र का बोलबाला है और जुगाड़ के नाम पर जिसके द्वारा तगड़ी सुविधा शुल्क दी जाती है उसकी रिपोर्ट मानकों, नियमों को दरकिनार कर पलक झपकते ही हाथों में पकड़ा दी जाती है।
जो नहीं दे पाता है उसके लिए “अनुकूल नही” लिखकर सारे रास्ते बंद कर दिए जाते है। न कोई कारण, न कोई साक्ष्य और न ही कोई जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, विज्ञापन में संलिप्तता और खबरों की प्रतिकूलता की रिपोर्ट किस आधार पर लगाई जाती है इस बारे में कोई जानकारी नही दी जाती है, जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि किसी भी प्रार्थना पत्र का निस्तारण उचित और विस्तृत कारणों की जानकारी के साथ किया जाना चाहिए, परंतु कलमकारों के आवास, मान्यता या सचिवालय प्रवेश पत्र बिना विस्तृत कारणों की जानकारी दिए निरस्त कर दिए जाते हैं और आर्थिक, पारिवारिक बोझ से दबा कलमकार नैतिक सिद्धांतों की राह पर खुद को व्यवहार कुशल, चपल भीड़ में अकेला देखकर LIU को सलामी न देने का खामियाज़ा भुगत कर खामोश रह जाता है।
आईना, ऑल इंडिया न्यूज पेपर एसोसिएशन द्वारा कलमकारों को LIU की बेड़ियों से जकड़ कर जो डराने और धमकाने का प्रयास किया जा रहा है, मूलभूत सुविधाओं का हनन किया जा रहा है, ऐसी बंदिशों को तोड़ने का संकल्प लिया गया है और LIU के अधिकारी, कर्मचारियों को भी सवालिया घेरे में लाकर ऐसी रिपोर्ट लगाने का औचित्य पूछा जाएगा। बिना साक्ष्यों, तथ्यों, आधारहीन, बिना किसी प्रमाण के आखिर ऐसी रिपोर्ट लगाकर कब तक LIU की कलम के दम पर कलमकारों का दमन होता रहेगा। अब इसे रोकने का समय आ गया है, सभी कलमकारों को इस दमनकारी नीतियों पर आवाज़ उठाना होगा और संगठित होकर अपने हक़ केलिए आवाज़ बुलंद करनी होगी।
पत्रकारों के आवास आवंटन प्रार्थना पत्रों को तानाशाही तरीक़े से निरस्त कर दिया गया और निरस्तीकरण के आदेश पर पत्रकारों की लंबी खामोशी अब डराती है, कहीं ना कहीं शासन प्रशासन का एक बड़ा खौफ नजर आता है और इसके विपरीत कलमकार जो सरकार के मिट्ठू और पिट्ठू हैं उनको रियायती दरों पर मिले भूखंडों पर बड़ी-बड़ी हवेलियां LIU के यंत्र में नही दिखती हैं और न ही इन हवेलियों से मिलने वाला लाखों रुपयों का मासिक किराया LIU को नज़र आता है, उनके सरकारी आवास नवीनीकरण, मान्यता, वाहन पास तत्काल जारी हो जातें हैं और जरूरतमंद पत्रकारों के आवास आवंटन, मान्यता, सचिवालय प्रवेश पत्र के प्रार्थना पत्रों को एक झटके में निरस्त कर सोशल मीडिया पर वायरल करने एक नया चलन भी चालू किया गया है।
मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों के सचिवालय वाहन पास जो एक निर्धारित ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत स्वतः जारी हो जाते थे । अब उसमें भी रुकावटें पैदा कर दी गईं है और दिग्गज नेतागण खामोश है। सचिवालय वाहन पास में भी ऑफलाइन सलामी देने की जुगाड़ टेक्नोलॉजी कारगर तरीके से काम कर रही है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा सचिवालय प्रवेश पत्र की प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन का फार्मूला लागू किया था लेकिन ऑफलाइन सलामी देने की पुरानी टेक्नोलॉजी इस फॉर्मूले में जोड़ दी गई है जिसका खामियाजा उन कलमकारों को भुगतना पड़ रहा है जो समाचार संकलन, पुष्टिकरण, प्रमाणीकरण और शासन का दृष्टिकोण लेने के लिए सचिवालय आते जाते रहते थे और इस कार्य हेतु उन्हें सचिवालय प्रवेश पत्र निरंतर जारी किए जाते रहे है लेकिन अब इस पर भी काले बादल मंडराने लगे हैं।
सलामी से स्वतंत्रता का आगाज़ किसी जश्न से नही होगा और न ही सफाई, मास्क वितरण, पौधरोपण कार्यक्रम से मिलेगी, इसके लिए कलमकारों को संगठित होकर अपने हक़ के लिए संकल्प करना होगा, आवाज़ उठानी होगी, कलम चलानी होगी और जवाब मांगना होगा तब मिलेगी आज़ादी LIU तंत्र से। आईना द्वारा समाचार पत्र के प्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा, छवि और नियमतः मिलने वाले सभी अधिकारों पर लगाम लगाती ऐसी दमनकारी नीतियों से स्वतंत्र कराने का संकल्प लिया गया है और इस दिशा में सार्थक प्रयास भी किया जा रहा है. आपके सहयोग और साथ के बिना ये पूर्ण रूप से असंभव है। खामोशी तोड़िये, संगठित होकर ग़लत परम्परा के अधीन गुलामी से स्वतंत्रता का आव्हान करना होगा और आईना दिखाना होगा।