दुनिया

बेटियों के सामने 17 साल पुरानी सफलता दोहराने की चुनौती

भारत विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप का आयोजन करने जा रहा है। पहली बार 2006 में जब यह चैंपियनशिप यहां आयोजित हुई तो भारतीय टीम ने चार स्वर्ण समेत आठ पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारतीय मुक्केबाज बेटियों के सामने 17 साल पहले की सफलता को फिर दोहराने की चुनौती है। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव और भारतीय मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने बुधवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम कांप्लेक्स में चैंपियनशिप का रंगारंग आगाज किया।

विजेता को मिलेंगे 87 लाख रुपये
इस चैंपियनशिप में 65 देशों के तीन सौ के करीब महिला मुक्केबाज शिरकत करने जा रहे हैं। हालांकि रूस और बेलारूस को खेलने की अनुमति देने के कारण अमेरिका, इंग्लैंड, आयरलैंड, यूक्रेन जैसे देशों ने चैंपियनशिप का बहिष्कार किया है। बावजूद इसके इस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले मुक्केबाज को एक लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 87 लाख रुपये) की भारी भरकम इनामी राशि मिलेगी। अपने खिताब की रक्षा करने जा रही भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर वह यहां जीतीं तो पुरस्कार राशि से महंगी कार खरीदेंगी।

चैंपियनशिप में भारतीय चुनौती टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन और निकहत जरीन के कंधों पर है। दोनों ही मुक्केबाज अनुभवी हैं। लवलीना पहले इस चैंपियनशिप में दो कांस्य जीत चुकी हैं। वह कहती हैं कि उनका लक्ष्य इस बार पदक का रंग बदलना है। लवलीना और निकहत दोनों नए वर्गों 75 और 50 भार में खेलने जा रही हैं। लवलीना पहले 69 और निकहत 52 भार वर्ग में खेलती थीं, लेकिन दोनों ही ओलंपिक से बाहर हो चुके हैं, जिसके चलते दोनों ने नए भार अपनाए। लवलीना का कहना है कि वह नए भार में अपने पंच में और अधिक ताकत डालने की कोशिश करेंगी।

 

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