धर्म-अध्‍यात्‍म

पूजा में क्यों बजाया जाता है शंख? जानें इसके फायदे, शिव की पूजा में शंख का जल क्यों है वर्जित?

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Significance of Shankha: सनातन परंपरा में की जाने वाली पूजा में शंख का बहुत महत्व है. क्योंकि भगवान को विष्णु को शंख बेहद प्रिय है. मान्यता है कि जिस स्थान या घर में शंख की ध्वनि होती है उस स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी वास करती है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे, तो उनके पास पांचजन्य नामक शंख था. माना जाता है कि शंख समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से एक थी, इसीलिए इसे रत्न भी कहा जाता है. चूंकि समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था. इस लिए शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है. मूल रूप से शंख दो प्रकार की होती हैं.

  1. दक्षिणावर्त शंख
  2. वामावर्त.शंख

शिव पूजा में शंख का जल है वर्जित  

दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवी-देवता परेशान थे. तब भगवान विष्णु के कहने पर भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से शंखचूड़ का उसका वध कर दिया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया, उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी. इसी लिए भगवान शिवजी की उपासना में शंख या उसके जल का उपयोग नहीं किया जाता है.

पूजा में शंख बजाने एवं उसके जल छिड़कने के लाभ

  • जिस घर में भूत प्रेत की बाधा हो तो वहां प्रतिदिन सुबह–शाम पूजा करने के उपरांत शंख बजाने से भूत–प्रेत आदि की बाधायें दूर हो जाती हैं.
  • शंख बजाने से फेफड़े हमेशा मजबूत बने रहते हैं और वाणी का दोष भी दूर होता है. मन शांति रहता है.
  • शंख बजाने से सूक्ष्म जीवाणुओं व कीटाणुओं का नाश हो जाता है.
  • पूजा स्थान पर शंख को सदैव जल भर कर रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इससे घर परिवार में शांति और शीतलता बनी रहती है.
  • पूजा के उपरान्त शंख में जल भर कर घर में छिड़कने से घर पवित्र हो जाता है. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है.

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