ओडीएफ का अधूरा ख्वाब, शहर की खूबसूरती में दाग
जिले में स्वच्छता सर्वेक्षण की गतिविधियां कागजों तक सिमट कर रह गईं
जिले में स्वच्छता सर्वेक्षण की गतिविधियां कागजों तक सिमट कर रह गईं हैं। वर्ष 2018 के स्वच्छ सर्वेक्षण में फिसड्डी साबित होने के बाद भी अफसरों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया। वर्ष 2019, 2020 व 2021 में रैंकिग में सुधार तो हुआ, लेकिन ओडीएफ के मानकों पर दावे कागजी साबित हुए। नगर को खुले में शौचमुक्त बनाने का नगर पालिका का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए बनवाए गए सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि शौचालय में पानी टंकी नहीं है तो कहीं सफाई का अभाव है। ऐसे में गांव की तरह शहर में भी लोग खुले में शौच जाते हैं। सुबह-शाम फुटपाथ व खुले मैदानों में लोटा पार्टी बैठी मिलती है। ऐसे में नगर को ओडीएफ बनाने का ख्वाब पूरा होता नहीं दिख रहा है। हालांकि सौ फीसद व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण पूरा होने का दावा कागजों में किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। यही वजह है कि गंदगी के कारण शहर की स्वच्छ सूरत पेश करने में नपाप को पसीने छूट रहे हैं।
नगर पालिका परिषद ने शहर को खुले में शौचमुक्त करने के लिए सुआंव नाला पुल, अचलापुर प्राथमिक विद्यालय, पंडा मुहल्ला, टेढ़ी बाजार, खलवा झंझरा, कालिया मस्जिद व नई बस्ती समेत 12 शौचालयों का निर्माण कराया है। इनमें 10 सामुदायिक व दो सार्वजनिक शौचालय शामिल हैं। अचलापुर प्राथमिक विद्यालय के बगल बने शौचालय में अक्सर ताला लटका रहता है। इससे स्थानीय लोग खुले मैदान में शौच जाने को मजबूर हैं। इसी तरह सुआंव नाला पर बने शौचालय में सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। गंदगी के चलते लोग इसका उपयोग करने से कतराते हैं। नहीं खुला पिक शौचालय का ताला :
महिलाओं की सहूलियत के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने पिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। शौचालय का निर्माण व रंगाई-पोताई हो जाने के बाद भी पिक शौचालय के गेट पर ताला लटकता रहता है। इससे महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यहां आने वाली महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है।
1879 लाभार्थियों के बने शौचालय :
अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार जायसवाल का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी 1879 लाभार्थियों के शौचालय पूर्ण हो चुके हैं। सभी सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय भी क्रियाशील हैं। पिक शौचालय को भी शुरू कराने का निर्देश दिया गया है। सभासद बनें स्वच्छता प्रहरी : -स्वच्छता को लेकर हर किसी को जागरूक होना होगा। प्रत्येक नागरिक को इसके लिए पहल करनी होगी। जिस तरह से हम अपने घर को साफ-सुथरा रखते हैं, उसी तरह हमें अपने मुहल्ले को भी स्वच्छ रखने का संकल्प लेना होगा। अगर साफ-सफाई की निगरानी नियमित तौर पर की जाए, तो काफी हद तक हालात सुधर सकते हैं। स्वच्छता की स्थिति में हम बेहतर तभी हो सकते हैं, जब इसमें जनप्रतिनिधि भी अपना योगदान करें। इसलिए सभासदों को अपने वार्डों को गोद लेकर स्वच्छता की दिशा में प्रयास करना चाहिए। – डा. मधुकर सिंह, शिक्षक बलरामपुर गर्ल्स इंटर कालेज

				



