जीवन की समस्याओं का आईना दिखाते है मुस्लिम शाहजी ! समाधान के लिए आते है सभी धर्मों के लोग !!
लाइक अहमद
गंगा जमुना तहजीब और एकता की मुहिम को आईना दिखाते शाह जी इस्लाम और ज्योतिष की जुगलबंदी के सरताज माने जाते हैं ।
समाज सेवा और जरूरतमंदों की मदद की मुहिम के चलते कहीं ना कहीं उनके हाथों की लकीरों और सितारों की गर्दिशों के तालमेल के अध्ययन से शाहजी ने एक ऐसा तंत्र तैयार किया है जिससे समाज के सभी वर्गों के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनके पास कतारों में खड़े दिखाई देते हैं। उनके पास हिंदू और मुसलिम दोनों धर्मों के लोग ज्योतिष समाधान के लिये आते हैं। ज्योतिष समाधान के लिये उनके पास आने वाले लोगों में 10 फीसदी संख्या मुसलिमों की है।
हस्तरेखा विज्ञान के साथ-साथ जन्म कुंडली के ज्ञान को सीखने के बाद शाही जी समाज के सभी धर्म के लोगों को अपनी प्रतिभा और ईश्वर की रहमत से मिले अदभुत चमत्कार को समाजसेवा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस काम को करने में उन्हें दुश्वारियां नहीं आई अपने ही समाज के लोगों से कई तरह की बातें भी सुनाई गयी लेकिन शाहजी का कहना है कि ज्योतिषी का संबंध किसी जाति या धर्म से नहीं हो सकता बल्कि कहीं ना कहीं एक ऐसी ताकत से है जिसके बारे में स्वयं मुस्लिम धर्म ग्रंथो में उल्लेख किया है और कुछ अदृश्य ताकतों का साथ में होने से उनके काम और ज्ञान में भरपूर मदद मिलती है। बात करी जाए तो अदृश्य ताकतों के रूप में अनेक देवदूत मौजूद हैं जिसमें जिन के बारे में कहा गया है कि जिन्न एक ऐसी रचना है जो मानव जाति से पहले धुंवा रहित आग से बनाई गई थी और जिन्हें कभी-कभी आत्मा प्रेत आदि के रूप में भी लोग जानते हैं।
इस्लाम और ज्योतिष के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
• कुरान और हदीस: कुरान और हदीस में ज्योतिष के बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है। कुछ विद्वानों का मानना है कि इन ग्रंथों में ज्योतिष को सीधे तौर पर निषिद्ध नहीं किया गया है, जबकि अन्य इसे अंधविश्वास मानते हैं।
• इस्लामी विद्वानों के मत: इस्लामी विद्वानों के बीच ज्योतिष को लेकर मतभेद हैं। कुछ विद्वान ज्योतिष को एक वैज्ञानिक विषय मानते हैं और इसका अध्ययन करने की अनुमति देते हैं, जबकि अन्य इसे अंधविश्वास मानते हैं और इसे निषिद्ध करते हैं।
• इतिहास: इस्लामी इतिहास में ज्योतिष का अध्ययन किया जाता था और इसका उपयोग खगोल विज्ञान, कैलेंडर बनाने और समय का निर्धारण करने के लिए किया जाता था।
जिन्न की भूमिका
पाप और अविश्वास में अपने मानवीय भागीदारों की सहायता करने के लिए धर्म में निषिद्ध अनैतिक कृत्यों को करके दुष्ट जिन्न को अक्सर बुलाया जा सकता है। भविष्य बताने वाले जब जिन्न से संपर्क करते हैं, तो जिन्न उन्हें भविष्य में होने वाली कुछ घटनाओं के बारे में बता सकता है। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने बताया कि कैसे जिन्न भविष्य के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं। उन्होंने बताया कि जिन्न सबसे निचले आसमान तक पहुंच कर भविष्य के बारे में कुछ सूचनाओं को सुनते थे, जिसके बारे मे स्वर्गदूत आपस में बाते करते थे। फिर वे पृथ्वी पर लौट आते और अपने मानवीय संपर्कों को जानकारी देते (बुखारी)। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिन्नों को भविष्य का ज्ञान नहीं है, बल्कि वे स्वर्गदूतों से सुनी हुई बातों को सुन लेते हैं; वास्तव में, स्वर्गदूतों को भी स्वयं इसका कोई ज्ञान नहीं होता है जब तक कि अल्लाह उन्हें इसके बारे में न बताये।
जिन्न एक अन्य प्रणाली के माध्यम से अपने मानवीय संपर्क को भविष्य की सुचना देने में भी सक्षम हैं। जब कोई भविष्य बताने वाले के पास जाता है, तो भविष्य बताने वाले का जिन्न उस आदमी के क़रीन (हर इंसान पर रखा गया जिन्न) से जानकारी लेता है कि उसने अपने आने से पहले क्या योजनाऐं बनाई थीं। तो भविष्य बताने वाला उसे बता सकता है कि वह यह करेगा या वह करेगा, या इधर जाएगा या उधर जाएगा। इस पद्धति से, वास्तविक ज्योतिषी भी एक अजनबी के अतीत के बारे में विशद विस्तार से जानने में सक्षम होता है। वह उसके माता-पिता के नाम, उसका जन्म कहां हुआ था, और उसके बचपन के बारे में कुछ आश्चर्यचकित करने वाली बाते बता सकता है।
“निःसंदेह, अल्लाह ही के पास है प्रलय का ज्ञान, वही उतारता है वर्षा और जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है और नहीं जानता कोई प्राणी कि वह क्या कमायेगा कल और नहीं जानता कोई प्राणी कि किस धरती में मरेगा। वास्तव में, अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला, सबसे सूचित है।”(क़ुरआन 31:34)