सीएचसी भीटी के चिकित्सा अधीक्षक की दबंगई आई सामने सीएचओ पिटाई के बाद खुद ही दर्ज कराया मुकदमा।
अंबेडकरनगर- भीटी
सीएचसी के कर्मचारियों ने सैकड़ों की संख्या में सीएमओ आफिस का किया घेराव।कर्मचारियों का आरोप है कि भीटी अधीक्षक मनोज सिंह ने मारपीट अपने पद की शक्ति का दुरुपयोग कर सीएचओ नितिन पटेल, विपिन कुमार पर एफ आई आर दर्ज करा कर सारा इल्जाम सीएचओ के उपर रख दिया। वायरल वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है । अधीक्षक मनोज सिंह किस प्रकार सीएचसी कर्मचारियों की पिटाई कर रहे हैं। भीटी में शनिवार को चिकित्सा अधीक्षक व संविदा कर्मियों के बीच हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया। शनिवार को सीएचसी भीटी पर कार्यरत सीएचओ कर्मी भीठी चिकित्सा अधीक्षक मनोज सिंह को टीकाकरण से उनकी ड्यूटी हटाने या फिर टीकाकरण करने के लिए सक्षम नहीं है बल्कि उनको टीकाकरण जनरल का अधिकार है वह केवल क्षेत्र में अपनी देखरेख में टीकाकरण करवा सकते हैं ना कि खुद टीकाकरण कर सकते हैं इसी को लेकर चिकित्सा अधीक्षक और सीएचओ कर्मी नितिन पटेल और विपिन कुमार व अन्य के बीच बातचीत हो रही थी। कि अचानक बीच में चिकित्सा अधीक्षक मनोज कुमार सिंह सीएचओ कर्मियों पर गाली देने का झूठा आरोप लगाकर मारपीट करना शुरू कर दिया। दबंगई की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए चिकित्सा अधीक्षक मनोज सिंह ने स्वास्थ्य कर्मी नितिन पटेल और विपिन कुमार को लात घुसा से मारा। चिकित्सा अधीक्षक के झूठ का पता विपिन द्वारा उपलब्ध कराई गई एक वीडियो क्लिप से पता चलता है। जिसमें साफ सुनने को मिल रहा है कि चिकित्सा अधीक्षक गाली देने का झूठा आरोप सीएचओ कर्मी पर लगा रहे हैं। और उनके साथ हाथापाई कर रहे। दबंग्ग और झूठे चिकित्सा अधीक्षक की मनमानी करा दिया गया। अंबेडकरनगर से आए दिन स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति की खबरें सामने आ रही है। अभी तक तो अंबेडकर नगर का स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाही और भ्रष्टाचार के लिए सुर्खियों में रहता था। परंतु अब स्वास्थ्य विभाग में दबंगई और गुंडागर्दी की खबरें भी निकल कर सामने आना शुरू हो गई है। और दबंगई भी ऐसी नहीं उच्च स्तर की पहले सीएचसी अधीक्षक स्वास्थ्य कर्मी को लात , जूतों से मारते हैं। और जब इससे मन नहीं भरा तो थाने में झूठा शिकायत पत्र देकर स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। और इससे भला हो बेटी थानाध्यक्ष का जो बिना किसी ढंग की जांच के सीएचओ कर्मियों पर पूरी तरह धनवंता से मुकदमा दर्ज कर देते हैं। परंतु भला थानाध्यक्ष को कौन बताए। कि जब सीएचओ थाने पर तहरीर देने गए थे उनको उनकी भी तहरीर लेकर जांच करनी चाहिए थी ना कि थानाध्यक्ष को स्वास्थ्य कर्मियों की तहरीर लेने से मना कर देना था।