अजब गजब

जल्द ही बंद हो जाएगा धरती पर नर्क का द्वार, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी

जब हम स्वर्ग के बारे में सोचते हैं तो हमें ऐसी जगह याद आती है जहां सब कुछ अच्छा होता है। वहीं नर्क में लोगों को धधकती आग में डाल दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अच्छे काम करते हैं उन्हें स्वर्ग में जगह मिलती है और जो लोग बुरे कर्म किए होते हैं उनको नर्क भेज दिया जाता है। हालांकि, स्वर्ग और नर्क किसी ने देखा तो नहीं है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस धरती पर एक  ‘नर्क का दरवाजा’ है। जी हां, अब ये भी खबर आ रही है कि इस नर्क के दरवाजे को बहुत जल्द बंद भी किया जा सकता है। यह दरवाजा तुर्कमेनिस्तान देश में है और इस देश के राष्ट्रपति ने इसे बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। राष्ट्रपति के इस फैसले ने लोगों को चौंका दिया है। आइए जानते हैं इस नर्क के द्वार की पूरी कहानी विस्तार से……….

दरअसल, तुर्कमेनिस्तान में एक बहुत बड़ा गड्ढा है जिसमें करीब 50 सालों से आग जल रही है। ये गड्ढा करीब 230 फीट चौड़ा है। अब राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को ये आदेश दिया है कि जल्द से जल्द इस गड्ढे को ढंका जाए। अपने आदेश में कहा कि इसके लिए विशेषज्ञों को बुलाया जाए और इसको बंद करवाया जाए।

यहां देखें वीडियो-

https://twitter.com/UOldguy/status/1480230534617862145?t=NdrEq0t7Rf7NTjDj-Cw-nA&s=19

50 साल से लगी है गड्ढे में आग

आग से धधकता ये विशाल गड्ढा काराकुम रेगिस्तान में मौजूद है। ये रेगिस्तान अश्गाबत शहर से करीब 160 मील दूर है। हर समय आग जलती रहने के कारण इसे माउथ ऑफ हेल या गेट ऑफ हेल कहा जाता है। इस गड्ढे में पिछले 50 सालों से लगातार आग जल रही है जो अभी तक बुझी नहीं है। इसी वजह से यहां के राष्ट्रपति ने ये आदेश जारी किया है कि गड्ढे को जल्द से जल्द बंद करवाया जाए क्योंकि गड्ढे से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

गड्ढे में आग कैसे लगी

गड्ढे में आग लगने का मुख्य कारण द्वितीय विश्व युद्ध था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ अपने बुरे दिनों से गुजर रहा था। उन्हें तेल और प्राकृतिक गैस की काफी जरूरत थी। उसी समय वहां के रेगिस्तान में खुदाई शुरू हुई। खुदाई में प्राकृतिक गैस तो मिली लेकिन वहां की जमीन धंस गई जिसके कारण वहां बड़े-बड़े गड्ढे बन गए।

गड्ढों में से मीथेन गैस का रिसाव तेजी से हुआ और वातावरण को ज्यादा नुकसान न हो इसके लिए गड्ढों में आग लगा दी गई। उन्हें लगा कि जैसे ही गैस खत्म होगी आग अपने आप बुझ जाएगी,लेकिन ऐसा हुआ नहीं और 50 साल बाद भी ये आग जस की तस जल रही है। हालांकि, इस दावे की सच्चाई के कोई पुख्ता सबूत नहीं है।

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