पशु पालनों पर बदल रहे मौसम से घातक बन कार आया सर्रा रोग
अंबेडकर नगर -टांडा
संक्रमण काल में मानव के साथ जानवरों के लिए भी सर्रा रोग आफत बनकर आ रहा है।ब्लॉक टांडा, समेत भीटी और अकबरपुर ब्लॉक के दर्जनों गांवों में पालतू पशुओं को सर्रा रोग अपनी चपेट में ले लिया है। इससे पशुपालक परेशान हैं। यूं तो सर्रा रोग हर सीजन में होता है और सबसे अधिक भैंसों को अपनी चपेट में लेता है लेकिन मौके की बदल रहे मौसम में सर्रा रोग तेजी से फैल रहा है। इससे पशुपालकों को सजग, सचेत और सतर्क हो जाना चाहिए। ग्राम पैकोलिया में सर्रा
रोग से अब तक 6 जानवरों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं पर ग्राम चौथाईयां, बड़ी पैकोलिया, मौहरिया आदि गांव में बीमारी शंका जाहिर है। क्षेत्रीय पशु चिकित्सालय टांडा के डॉक्टर शिवचंद यादव , एवं क्षेत्र में तत्पर रहने वाले डॉक्टर मसलाउद्दीन से बातचीत से पता चला कि, मौसम में हो रहे बदलाव से पशुओं में सर्रा रोग होने की संभावना रहती है। जब कंपकपी के साथ पशु गिरने लगे और नाक से लार आने लगे तो समझ जाना चाहिए कि पशु पर सर्रा रोग का प्रभाव हो चुका है। ऐसा होने पर तुरंत पशु का इलाज करना चाहिए। अन्यथा की स्थिति में पशु की जान जा सकती है। पशुओं में डास मक्खी के काटने से भी होता है। यह रक्त परजीवी मक्खी है। एक पशु से दूसरे पशुओं में रोग को फैलाता है। यह रोग गाय, भैंस, घोड़ा, भेड़, बकरी, कुत्ता, ऊंट और हाथी में होता है। सर्रा रोग सबसे अधिक भैंस को प्रभावित करता है।बीपशुओं में होने वाले सर्रा रोग के लक्षणः पशुओं में तेज बुखार या सामान्य से कम तापमान होना, सिर को दीवार या जमीन से दबाना, कांपना, थरथराना, छटपटाना या मूर्छित हो जाना, पेशाब बार बार करना, मुंह से लार टपकना, जुगाली ना करना, चारा पानी छोड़ देना, रस्सी खींच कर खड़ा होना और आंख लाल होना पशुओं में सर्रा रोग के होना प्रमुख लक्षण है। सर्रा रोग से बचाव तथा उपचारः पर पशु चिकित्सक सलाहुद्दीन ने बताया कि पशुओं को सर्रा रोग से बचाने के लिए मक्खियों को खत्म कर देना, बाड़ों नियमित साफ सफाई करना, बाड़े में मच्छरदानी वाली जाली का प्रयोग करना, नीम की पत्तियों का धुआं करना तथा पशुओं के शरीर की सफाई करना चाहिए। अगर पशु रोगग्रस्त हो गया है तो पशुओं के सिर पर ठंडा पानी गिराने, गुड़ खिलाने से आराम मिलता है। साथ ही डाईिमना जीन इंजेक्शन सुर्रामीन इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
बीमार पशुओं के इलाज को डायल करें 1962 वेटेरिनरी यूनिट; फोन करने पर इलाज के लिए तुरंत पहुंचेगी टीम
अंबेडकरनगर में पशुपालकों को पशुओं के इलाज के लिए भाग दौड़ न करना पड़े, इसके लिए शासन ने जिले को 6 मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट दिया है। प्रत्येक मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट में एक चिकित्सक, एक स्वास्थ्य कर्मचारी के साथ-साथ आवश्यक दवाएं होंगी।
केंद्र सरकार किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए पशुपालन पर फोकस कर रही है. लेकिन, पशुपालन तब अच्छा होगा जब पशु रोगों से मुक्त हों. वरना इसकी सारी कमाई डॉक्टरों के पास ही चली जाएगी. इन दिनों पशुओं में मौसम परिवर्तन की वजह से सर्रा रोग जैसा बीमारी पनप रहा है। जिनसे पशुओं को बचाना बहुत जरूरी है. इससे पशु मौत का शिकार हो जाता है. मानसून के समय यह रोग बहुत तेजी से फैलता है. इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीकाकरण नही होता है. देश में हर साल दूध और दूध से बनी चीजों का करीब 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है. ऐसे में समझ सकते हैं कि हमारे लिए पशुपालन कितना महत्वपूर्ण है. पशुओं की देखभाल कितनी जरूरी है।