मानसून ऑफर में उत्तर प्रदेश के पत्रकारो को मिली रियायती आवास से विज्ञापन तक के दर्जनों ज्ञापन की सौगात, लेकिन पत्रकारो की मूलभूत समस्याएं ज्ञापन से नदारद, अपने ही अस्तित्व की तलाश में खंडित खंडित संगठन का ज्ञापन सामने, तस्वीरें आना बाकी, वहीं मानसून महा ऑफर में सक्रिय हुई पत्रकारो की एक और बड़ी समिति, महाराष्ट्र की राजनीति के शांत होते ही पत्रकारो की राजनीति का माहौल बनाने के लिए बैठकों का सिलिसिला शुरू हुआ और आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ खाने खिलाने के दौर चलने की राहत भरी खबरों का ज्ञापन भी देखने को मिला।
1.समाचारों की सत्यता और खबरों की विश्वसनीयता के लिए खबरनवीसों के सचिवालय प्रवेश पत्र पर लगे मनमाने प्रतिबंध पर कोई चर्चा नही।
2. वरिष्ठ पत्रकारों के वाहन के लिए न तो समुचित पार्किंग की व्यवस्था और सचिवालय वाहन पास पर मनमाने रवैये की कोई चर्चा भी नही। जिनकी मान्यता नियम विरोधी उनको सचिवालय वाहन पास की कृपादृष्टि पर कोई ज्ञापन नही।
3. रियायती दर पर आवास आवंटन की चर्चा लेकिन दशकों से नियम विरोधी तरीके से कब्जाए सरकारी मकान को खाली कराने हेतु कोई चर्चा नही।
4. रियायती दरों पर मिलने वाली रेल यात्रा बंद किया जाने का कोई विरोध/प्रदर्शन नही दिखता।
5.विज्ञापन की मांग का ज्ञापन दिखा लेकिन किसी व्यक्ति विशेष की पत्रिका को करोड़ो रुपये के विज्ञापन का विरोध नही दिखता, विज्ञापन नियमावली का न्याय के आधार पर अनुपालन का ज्ञापन नही दिखा।
6. लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के विज्ञापन मांग में गैर कानूनी रूप से करोड़ो रूपये की सरकारी धनराशि का न्यूज़ चैनलो को विज्ञापन दिए जाने का विरोध नही दिखता।
7.मान्यता प्राप्त पत्रकारो की गरिमा, अस्तित्व के लिए नियम, मानक विरोधी रेवड़ियों की तरह निर्गत की गई पत्रकार मान्यता के विरुद्ध कोई ज्ञापन नही दिखता।