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बिकरू कांड: हैरान करने वाला खुलासा, आईपीएस अनंतदेव बोले 22 माह के कार्यकाल में कभी नहीं हुआ विकास दुबे का जिक्र।

बिकरू कांड के मामले में न्यायिक आयोग ने भी शहर में तैनात रहे डीआईजी अनंत देव समेत 13 राजपत्रित पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है। पूर्व में एसआईटी भी इन राजपत्रित अधिकारियों को आरोपियों से मिलीभगत, लापरवाही के आरोपों में दोषी ठहरा चुकी है।

कानपुर।

कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में न्यायिक आयोग की जांच में आईपीएस अनंत देव सहित 13 राजपत्रित पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं। इस सब के बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। कानपुर एसएसपी पद पर आईपीएस अनंतदेव के 22 महीने के कार्यकाल में गैंगस्टर विकास दुबे का नाम कभी उनके सामने नहीं आया। शहर की एक प्रसिद्ध शख्सियत ने उनकी मुलाकात जय बाजपेई से कराई। कोरोना काल में जय द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों के चलते उसकी अच्छी छवि बनी थी। अनंतदेव के कहने पर ही जय ने लावारिस हालत में गाड़ियां बरामद होने के बाद नजीराबाद थाने में समर्पण किया था। यह बयान आईपीएस अनंतदेव ने जांच के दौरान न्यायिक आयोग के सामने दर्ज कराए हैं। बयान में अनंतदेव ने कहा है कि 30 अगस्त 2018 से 18 जून 2020 तक कानपुर में एसएसपी के रहे। उन्होंने कभी चौबेपुर थाने का वार्षिक या आकस्मिक निरीक्षण भी नहीं किया। न तो कभी विकास से मुलाकात हुई, न कभी फोन पर बात हुई।

विकास गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में जेल में रहा, लेकिन अपराध से अर्जित संपत्ति को कुर्क करने के लिए कोई कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि थाना, क्षेत्राधिकारी (सीओ) या एसपी स्तर से कोई संस्तुति नहीं की गई थी। बिकरू कांड में शहीद हुए सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने विकास या उसके गैंग के बारे में कोई भी लिखित या मौखिक जानकारी कभी नहीं दी थी।

बयान में उन्होंने कहा है कि जनता को जागरूक करने और अपराधियों को कड़ा संदेश देने के लिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाया गया था। इसमें शहर के एक कलाकार की भी सेवाएं ली गई थीं। उन्होंने कई ऑडियो-वीडियो के माध्यम से पुलिस-प्रशासन के संदेश प्रसारित किए थे।

जय से भी उनकी मुलाकात इसी व्यक्ति ने कराई थी। कोरोना काल में सामाजिक कामों में जय बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था, इसलिए उसकी अच्छी छवि बन गई थी। जय से पहली मुलाकात 9 मार्च 2020 को हुई। जय न तो विकास के गैंग का सदस्य था, न ही किसी मुकदमे में सहअभियुक्त था।

जय के खिलाफ नजीराबाद और बजरिया में 3-4 मुकदमे दर्ज थे, जिसकी जानकारी उन्हें थी। जय से उनकी 19 बार बातचीत हुई। उन्होंने बताया था कि समाचारपत्रों से जानकारी मिली थी कि जय ने अपनी गाड़ियां काकादेव में लावारिस छोड़ दी हैं, तब चार जुलाई 2020 को उन्होंने ही जय को नजीराबाद थाने जाने को कहा था।

ब्यूरो रिपोर्ट- हरीश गुप्ता।
ब्यूरो रिपोर्ट- हरीश गुप्ता।

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