बड़ों के साथ बच्चे भी बुखार की चपेट में।
मौसम में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव से बड़ाें के साथ बच्चे भी बुखार की चपेट में हैं। जिला अस्पताल में रोजाना 100 से 150 बच्चे और 200 बड़े लोग बुखार का इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
उन्नाव।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि यह मौसम बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक है। बच्चे बुखार से पीड़ित हो रहे हैं। उन्हें खांसी भी आ रही है। इन बच्चों की डेंगू की जांच भी कराई जाती है। परिजनों को सलाह दी जा रही है कि बच्चों के खाने-पीने में परहेज करें। कूलर व एसी के सामने न सोएं। घर का खाना खिलाएं। फुल बांहों के कपड़े पहनें। यदि बच्चे को अधिक दिक्कत होती है तो डॉक्टर से सलाह लेकर दवाएं लें। सीनियर फिजीशियन डॉ. आलोक पांडेय व फिजीशियन डॉ. कौशलेंद्र प्रकाश की ओपीडी में भी मरीजाें की भीड़ सुबह आठ बजे से लग रही है।
बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ते ही डेंगू व मलेरिया की जांच में भी तेजी आई है। डेंगू की जांच के लिए जिला अस्पताल में रैपिड़ किट का प्रयोग किया जा रहा है। इससे जांच किट का स्टॉक भी खत्म हो गया है। जिला अस्पताल ने जांच के लिए मलेरिया विभाग से 500 किट मांगी हैं।
निजी पैथोलॉजी में जांच के दौरान डेंगू, मलेरिया, जेई व कालाजार की पुष्टि होती है तो संचालक उसे गोपनीय रखेंगे। इसकी सूचना पहले सीएमओ कार्यालय के एपिडिमियोलॉजिस्ट के व्हाट्सएप नंबर पर देंगे। वह मरीज का दोबारा सैंपल राम मनोहर लोहिया आयुर्वेदिक संस्थान लखनऊ भेजेंगे। वहां से पुष्टि होने के बाद ही संबंधित रोग की घोषणा की जाएगी।
जिला अस्पताल में वार्ड बनने के बाद अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच-पांच बेड का डेंगू वार्ड तैयार कराया जा रहा है। दवाओं की भी व्यवस्था करने के आदेश सीएचसी प्रभारी को दिए गए हैं।
